5G स्पेक्ट्रम निलामी में अडानी के कदम रखने के बाद से टेलीकॉम कंपनियों के बीच कड़ी टक्कर होने की बहस छिड़ गई है। खासकर, इस बात की चर्चा है कि मुकेश अंबानी की जियो से अडानी ग्रुप की कड़ी टक्कर हो सकती है। वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार, मुकेश अंबानी की जियो 5G निलामी के लिए 55 से 60 हजार करोड़ रुपए तक खर्च कर सकती है, जबकि एयरटेल 45,000-50,000 करोड़ तक की रकम खर्च कर सकती है।
26 जुलाई से शुरू होने वाले 5 जी निलामी शुरू होने वाली है। ऐसे में एक्सपर्ट को उम्मीद है कि रिलायंस जियो की टक्कर तीन तरफ से होगी। जियो की सबसे पहले टक्कर एयरटेल से होगी, जो जियो के बराबर निलीमी में बोली लगा सकता है तो वहीं हाल ही में टेलिकॉम सेक्टर में कदम रख रहे अडानी से होगी। इसके अलावा वोडाफोन भी नीलामी के लिए बोली लगाएगा।
अडानी से सी बैंड में होगी टक्कर
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी ग्रुप यूनिट अडानी नेटवर्क्स और नकदी की तंगी वाले वोडाफोन आइडिया (Vi) क्रमशः 13,000-15,000 करोड़ रुपए और 5,000-6,000 करोड़ रुपए के स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगा सकते हैं। जियो की अडानी से टक्कर 3.3-3.67 GHz बैंड में, जिसे C-बैंड या मिड-बैंड के रूप में भी जाना जाता है, हो सकती है।
महंगी हो सकती है बोली
इससे बैंड की कीमत 317 करोड़ रुपए प्रति यूनिट के बेस रेट से 10 फीसदी ज्यादा हो सकती है। वहीं संभावना है कि तीनों कंपनियां और वीआई बहुत सस्ते लेकिन उपयोगी 26 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाएं।
इतनी हो सकती है जमा राशि
टेल्को स्पेक्ट्रम बिडिंग स्ट्रैटेजी से परिचित उद्योग के अधिकारियों और विश्लेषकों का अनुमान है कि Jio और Airtel ने क्रमशः 6,500-7,500 करोड़ रुपए और 6,000-7,000 करोड़ रुपए की बयाना राशि जमा की हो सकती है। जबकि अडानी और वोडाफोन आइडिया क्रमश: 2,000-2,500 करोड़ रुपए और 600-700 करोड़ रुपए बयाना राशि जमा करेगी।
सरकार को कितना होगा फायदा
चारों कंपनियों की ओर से पेश की गई राशि को सही पाया जाता है तो सरकार इस साल की नीलामी से लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ पा सकती है। 5G एयरवेव्स में लगभग 4.3 लाख करोड़ रुपए की बिक्री की जाएगी।
Adani का क्या है प्लान
अडानी ग्रुप कस्टमर्स को 5जी सर्विस नहीं देगा, बल्कि उसे 5G स्पेक्ट्रम अपने कारोबार बढ़ाने के लिए चाहिए। यही वजह है कि अडानी ग्रुप इस बोली में शामिल हो रहा है। हालाकि एक्सपर्ट का मानना है कि अडानी बाद कस्टमर्स के लिए सेवाएं उपलब्ध करा सकता है। हालाकि कंपनी ने स्पष्ट किया है कि उसे अपने एयरपोर्ट और पोर्ट पर साइबर सिक्योरिटी, पावर जेनरेशन, ट्रांसमिशन, फैक्टरीज, रिटेल से लेकर डेटा सेंटर तक और सुपर ऐप्स के लिए हाई-क्वालिटी और स्पीड वाला इंटरनेट चाहिए।