भले ही केंद्र सरकार ने 21 लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी कर अर्थव्यवस्था को गति देने की बात कही हो, लेकिन फिलहाल इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है। देश में 40 फीसदी कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें अपना भविष्य अनिश्चित लगता है। LinkedIn की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक हेल्थकेयर सेक्टर के 39 पर्सेंट और एजुकेशन सेक्टर के 44 फीसदी लोगों को अपना भविष्य सुरक्षित नहीं दिखता। सर्वे के अनुसार इन लोगों का मानना है कि अगले 6 महीनों में उनकी कमाई में कमी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा आईटी और सॉफ्टवेयर सेक्टर के 30 पर्सेंट से ज्यादा लोगों को लगता है कि उनका भविष्य सेफ नहीं है।
इसके अलावा कॉरपोरेट सर्विसेज से जुड़े 29 पर्सेंट कर्मचारी आशंकित हैं कि आने वाले समय में उनकी कमाई कम हो सकती है। 4 मई से 31 मई के बीच 2,903 पेशेवरों के बीच किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। यही नहीं कमाई में कमी का सीधा असर पर्सनल फाइनेंसेज के फ्रंट पर भी देखने को मिलेगा।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जु़ड़े 38 पर्सेंट लोगों का कहना था कि वे अगले 6 महीने तक निजी खर्चों में कटौती करेंगे। इसके अलावा कॉरपोरेट सर्विसेट के 40 पर्सेंट, हेल्थकेयर के 45 पर्सेंट लोगों ने यही राय जताई। जानकारों के मुताबिक बेरोजगारी के आंकड़े में इजाफा होने और बड़े पैमाने पर सैलरी कट की स्थिति के चलते आने वाले समय में सेविंग्स पर असर देखने को मिल सकता है।
इंश्योरेंस, लोन और निवेश जैसी चीजों में कमाई घटने के चलते गिरावट देखने को मिल सकती है। सर्वे में शामिल एक तिहाई लोगों ने कहा कि वे अपना ज्यादातर समय रेज्युमे को अपडेट करने और इंटरव्यू की तैयारी में बिता रहे हैं। लिंक्डइन के सर्वे के मुताबिक 67 फीसदी पेशेवर लोग ऐसे हैं, जो इस संकट के दौर में अपनी स्किल को ऑनलाइन लर्निंग प्रोग्राम्स के जरिए बढ़ाने में जुटे हैं। गौरतलब है कि कोरोना संकट के चलते भारत समेत दुनिया भर की कंपनियों में छंटनी का दौर जारी है। टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा मोटर्स ने भी 1,100 कर्मचारियों को छंटनी का फैसला लिया है। कंपनी का कहना है कि 9,800 करोड़ रुपये के घाटे के चलते यह फैसला लेना पड़ रहा है।