उच्चतम न्यायालय ने आज लूप टेलीकाम लि. (एलटीएल) तथा एस्सार समूह के निदेशक विकास सर्राफ की उस अर्जी की जांच करने को राजी हो गया जिसमें एक मामले को निपटान के लिए लोक अदालत में भेजे जाने का अग्रह किया गया है। लूप टेलीकॉम और सर्राफ 2जी घोटाले की जांच से सामने आए इस मामले में अभियुक्त बनाए गए हैं। न्यायमूर्ति जे एस खेहर तथा न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने से इनकार किया। पीठ ने सीबीआई की ओर से पेश विशेष सरकारी वकील से इस बात पर अपना तर्क देने को कहा कि क्या इस मामले को लोक अदालत को भेजा जा सकता है।
लोक अदालत एक वैकल्पिक विवाद निपटान व्यवस्था है जिसमें दीवानी और जुर्माना लेकर माफ किए जाने वाले मामलों में संबंधित पक्षों के बीच समझौता कराने का प्रयास किया जाता है। यदि संबंधित पक्षों के बीच समझौता नहीं हो पाता है तो यह मामला फिर अदालत को भेज दिया जाता है। एलटीएल की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कंपनी 420 (धोखाधड़ी) तथा 120 बी (आपराधिक साजिश) की धाराओं में मुकदमे का सामना कर रही है जो प्रशम्य अपराध की श्रेणी में आते हैं। सिंघवी ने बताया कि दूरसंचार विभाग निपटान के खिलाफ नहीं है, सिर्फ सीबीआई ने इसका विरोध किया है।
सीबीआई की ओर से उपस्थित विशेष सरकारी वकील आनंद ग्रोवर ने इस अपील का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में बहस पूरी हो चुकी है, मुकदमा पूरा हो चुका है और सिर्फ फैसला आना बाकी है। पीठ ने इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 18 अक्तूबर तय की है।