अब जब चुनाव एकदम सिर पर हैं और समाजवादी पार्टी में टूट हो चुकी है। मुलायम सिंह यादव ने छह साल के लिए अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को सपा से निकाल दिया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ यूपी चुनावों के लिए गठजोड़ कर सकते हैं। लखनऊ के सियासी गलियारे में इस बात की जोरदार चर्चा है कि अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकते हैं। कांग्रेस और सपा के सूत्र बताते हैं कि इसके लिए दोनों नेताओं के बीच गुप्त बातचीत हो रही है।

अखिलेश यादव पहले से ही कहते रहे हैं कि चुनाव बाद उनकी ही सरकार बनने जा रही है। वो 300 सीटों पर जीत रहे हैं। लगे हाथ वो यह भी कहते रहे हैं कि अगर कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाय तो जीत का आंकड़ा कहीं ज्यादा होगा। यानी अखिलेश यादव शुरु से ही कांग्रेस से गठबंधन के हिमायती रहे हैं लेकिन पिता मुलायम सिंह यादव कई मौकों पर कह चुके हैं कि साइकिल अकेले ही मंजिल तय करेगी। समाजवादी पार्टी किसी से गठजोड़ नहीं करेगी। मुलायम और अखिलेश उम्‍मीदवारों की लिस्‍ट को लेकर आमने-सामने थे।

मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को 325 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। इसके बाद अखिलेश यादव ने भी गुरुवार को समानांतर 235 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी। मुलायम की लिस्ट में अखिलेश के कई पसंदीदा लोगों को तरजीह नहीं दी गई थी तो अखिलेश की लिस्ट में भी शिवपाल के कुछ खास लोगों को टिकट नहीं दिया गया। शिवपाल ने गुरुवार रात को बची हुई शेष 78 सीटों में से 68 सीटों पर भी उम्मीदवारों का एलान कर दिया। यानी शिवपाल और मुलायम ने सभी 403 सीटों में से कुल 395 पर उम्मीदवार जारी कर दिए जबकि इस सियासी जंग में अखिलेश ने आखिरी पलटवार नहीं किया है। अभी भी उनकी तरफ से 168 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान होना बाकी है। उधर, कांग्रेस ने अभी तक किसी भी उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है। कुछ दिनों पहले यह खबर आई थी कि महागठबंधन होने का स्थिति में कांग्रेस को 80 सीटें दी जा सकती हैं।

इस बीच, अखिलेश के समर्थक रहे दूसरे चाचा रामगोपाल यादव ने कहा है कि कुछ लोग नेताजी से गलत फैसलों पर हस्ताक्षर करवा रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक कह डाला कि अब समझौते के आसार नहीं दिखते हैं। उन्होंने तो यह भी कहा कि सीएम जिस प्रत्याशी का समर्थन करेंगे उन्हें ही वो मदद करेंगे। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अखिलेश के साथ हमेशा साये की तरह खड़ा रहने वाले सांसद धर्मेन्द्र यादव भी पार्टी नेतृत्व से नाराज बताए जा रहे हैं। संभावना इस बात की भी है कि अगर अखिलेश ने नया दांव चला तो धर्मेन्द्र यादव की उसमें बड़ी भूमिका होगी। इससे पहले पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान पार्टी में मचे घमासान पर दुख जता चुके हैं। आजम ने कहा है कि समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर मचा घमासान दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस झगड़े की वजह से समाजवादी पार्टी बीजेपी को यूपी की सत्ता थाली में सजा कर दे रही है।