जबसे कठुआ गैंगरेप पीड़िता की तस्वीरें मैंने देखीं तबसे पूछा है मैंने अपने आप से बार-बार कि किस मिट्टी के बने हैं हमारे राजनेता? पिछले हफ्ते उन तस्वीरों को देख कर इतना दर्द हुआ देश भर में हर वर्ग के लोगों को कि हजारों लोग सामने आए हैं गैंगरेप पीड़िता के लिए न्याय मांगने और यह कहने कि उस बच्ची का सुंदर, मुस्कुराता, मासूम चेहरा देख कर यकीन नहीं होता कि उन दरिंदों ने उसके साथ इतना जुल्म कैसे किया और वह भी एक मंदिर परिसर के अंदर। क्या इन दरिंदों में इतनी भी इंसानियत नहीं थी कि देख सकें कि इतनी छोटी, इतनी बेबस थी वह बच्ची कि उसके साथ बार-बार बलात्कार करना महापाप था?

उसकी तस्वीरें देख कर जैसे पूरे देश का दिल दहल गया, लेकिन हमारे राजनेताओं का नहीं। उलझे रहे भूख हड़तालों में तब तक जब देश भर से गुस्से का ऐसा सैलाब न उठा कि दिल्ली में उनकी आलीशान कोठियों तक पहुंचा। फिर राहुल गांधी निकले मोमबतियां हाथ में लिए इंडिया गेट पर प्रदर्शन करने, लेकिन प्रधानमंत्री अभी तक मौन हैं और उनके मंत्री बोले हैं तो सिर्फ वही बेमतलब बातें कहने के लिए। अपराधियों को सजा जरूर होगी, कानून के हाथ लंबे हैं, वगैरह।

ऐसा कहते शायद इस बात पर ध्यान नहीं दिया इन राजनेताओं ने कि कानून के हाथ लंबे होते, तो जम्मू के वे वकील जेल में होते, जिन्होंने न्याय के रास्ते में बाधा डालने की कोशिश की है। और जेल में भारतीय जनता पार्टी के वे मंत्री भी होते, जिन्होंने अपराधियों को बचाने की कोशिश की है। इनकी बातों के वीडियो हैं, लेकिन इस लेख के लिखने तक उनको जम्मू-कश्मीर की सरकार से बर्खास्त नहीं किया गया है। कश्मीर की मुख्यमंत्री महिला हैं, लेकिन उनकी आवाज भी तभी उठी जब मीडिया ने देश का गुस्सा दिखाया टीवी पर।
राजनेताओं के अलावा एक और वर्ग है, जिसको गैंगरेप पीड़िता का दर्द महसूस नहीं हुआ और वह है हिंदुत्ववादी। मुझे इन लोगों से वैसे भी प्रेम नहीं है, लेकिन गैंगरेप पीड़िता को लेकर जिस किस्म की बेकार बातें इन तथाकथित राष्ट्रवादियों ने की हैं, उनको सुन कर मुझे यकीन हो गया है कि ये लोग राष्ट्र के हमदर्द नहीं, दुश्मन हैं। मैंने जब ट्विटर पर गैंगरेप पीड़िता की हत्या को लेकर गहरा दुख और गहरी शर्म व्यक्त की, तो पीछे ऐसे पड़े ये ‘राष्ट्रवादी’ हिंदू मेरे कि क्या बताऊं। आरोप मेरे ऊपर लगाया कि गैंगरेप पीड़िता के लिए मुझे दर्द सिर्फ इसलिए है कि मुसलिम घर की बेटी थी। उन हिंदू बच्चियों का दर्द क्यों नहीं आपको तड़पाता, जिनके साथ रोज बलात्कार इसी तरह होता है असम और बंगाल में? इसलिए कि जब किसी बच्ची का दरिंदे बलात्कार करते हैं, तो मैं यह नहीं देखती कि वह मुसलिम है या हिंदू और न पूछती हूं दरिंदों से कि उनकी धर्म-जाति क्या है।

साफ जाहिर है इन हिंदुत्ववादी लोगों की बातों से कि उनको गैंगरेप पीड़िता के लिए दर्द होता अगर वह हिंदू घर में पैदा हुई होती। उसके पिता ने अपने आंसू पोंछते हुए टीवी पत्रकारों को बताया कि वह इतनी छोटी थी कि उसको यह भी पता नहीं था कि उसका बायां हाथ कौन-सा है और दाहिना हाथ कौन-सा। सो, उसको कैसे मालूम होता कि उसको इस तरह तड़प-तड़प कर मरना होगा, सिर्फ इसलिए की वह मुसलिम घर की बेटी थी और उसके हत्यारे हिंदू अस्मिता के रखवाले?

हिंदू अस्मिता के इस किस्म के रखवाले पहले भी हुआ करते थे भारत में, लेकिन जबसे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, इन लोगों के हौसले इतने बुलंद हुए हैं कि वे जानते हैं कि चाहे कुछ भी कर लें उनको दंडित नहीं किया जाएगा। जिस तरह गैंगरेप पीड़िता की हत्या के बाद मोदी सरकार के मंत्री पेश आए हैं, उससे तकरीबन साबित हो गया है कि हिंदुत्व के नाम पर अपराध करने वाले हमेशा सुरक्षित रहेंगे। गोरक्षकों ने पहले से इस बात को साबित किया है, लेकिन पीड़िता की हत्या के बाद पूरी तरह स्पष्ट हो गया है। इतना भय फैला रखा है हिंदुत्ववादियों ने जम्मू में कि पीड़िता के परिवार को गांव छोड़ कर भागना पड़ा अपनी बच्ची को किसी गैर गांव के कब्रिस्तान में दफनाने के बाद। जिस हिंदू गांव के किनारे उनका छोटा-सा घर था, उस गांव में इजाजत नहीं मिली इस बच्ची को दफनाने के लिए।

सवाल है कि ये हिंदुत्ववादी देशभक्त देश को तोड़ना चाहते हैं क्या? तोड़ना अगर नहीं चाहते हैं तो उनका मकसद क्या है? माना कि उनको मुसलमानों से नफरत है और वे चाहते हैं कि भारत एक हिंदू राष्ट्र बन कर रहे, लेकिन क्या कभी सोचा है इन लोगों ने कि भारत के मुसलमान जाएं तो जाएंगे कहां? इंडोनेशिया के बाद भारत में है मुसलमानों की सबसे बड़ी आबादी, सो अगर इनको निकालना है हिंदुत्ववादियों का असली मकसद, तो क्या उन्होंने सोचा है कि भारत का कौन-सा हिस्सा इनको देना चाहते हैं? कहां गर्इं वे बातें अखंड भारत की?
समय आ गया है हिंदुत्ववादियों को नियंत्रण में लाने का। लेकिन यह काम किसके हवाले किया जाए जब प्रधानमंत्री इनकी हरकतों को लेकर दो बार ही बोले हैं और वह भी जब गोरक्षा के नाम पर दलितों पर हमले हुए। जब भी मुसलमानों को मारा है गोरक्षकों ने, प्रधानमंत्री मौन रहे हैं, लेकिन अब जब आठ साल की बच्ची को बलिदान किया गया है इस कट्टरपंथी सोच के कारण, क्या उनकी चुप्पी भारत के हित में है? राजनेताओं की असली परीक्षा तब होती है जब समय आता है देश के हित को अपने राजनीतिक दल के हित से ऊपर रखने की जरूरत पड़ती है। प्रधानमंत्रीजी वह समय आ गया है आपके लिए। आपके दिल में पीड़िता के लिए दर्द न भी हो, तो भी आपको जम्मू के हिंदुत्ववादियों को नियंत्रण में लाना होगा।