बिल्डर्स के लालच की वजह से देश भर में लाखों होमबायर्स का सुख-चैन छिन गया है. दर्जनों प्रोजेक्ट बन्द होने की वजह से लाखों मजदूरों के घरों में भी रोटी के लाले पड़ गये हैं. आम्रपाली मामले में निवेशकों के साथ ठगी के लिए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मालिक जेल की सलाखों के पीछे हैं. दूसरी ओर कम्पनी के ब्राण्ड एम्बेसडर रहे धोनी ने आम्रपाली प्रोजेक्ट में पेंटहाउस का मालिकाना हक पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस धोखाधड़ी में शामिल प्रभावशाली लोगों पर केस चलेगा।
नोएडा में दस साल पहले धोनी द्वारा पेंट हाउस की बुकिंग- धोनी की अर्जी के अनुसार उन्होंने नोएडा के सेक्टर-45 में स्थित आम्रपाली सफायर में अगस्त 2009 में 20 लाख रुपये में पेंटहाउस खरीदने के लिए एग्रीमेंट किया था. धोनी ने पेंटहाउस के मालिकाना हक और कब्जा दिलाने की सुप्रीम कोर्ट से मांग की है. इस पेंट हाउस की कीमत धोनी द्वारा 1.25 करोड़ रुपये की बताई गई है. यह लेनदेन तो कानूनी शक के दायरे में है ही, धोनी ने 114 करोड़ का क्लेम और बना दिया है.
ग्राहकों के साथ ठगी पर ब्राण्ड एम्बेसडर की जवाबदेही- धोनी जैसे ब्राण्ड एम्बेसडर पर भरोसा करके हजारों ग्राहकों ने आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स में गाढ़ी कमाई लगा दी और आज वे दर-दर भटक रहे हैं. आम्रपाली के नोएडा में स्थित 62773 फ्लैटों में 2230 और ग्रेटर नोएडा में 1,24,294 फ्लैटों में सिर्फ 2395 में ही निर्माण हुआ है. लगभग 46 हजार खरीददारों के मकानों का तो अता-पता ही नहीं है. दूसरी ओर धोनी ने सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य अर्जी लगाकर आम्रपाली से बकाया 114 करोड़ रुपये के वसूली की मांग की है. धोनी के अनुसार वे आम्रपाली के ब्राण्ड एम्बेसडर थे, परन्तु कम्पनी ने उन्हें 38.95 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया. धोनी को क्रिकेट ने बेशुमार दौलत और देश ने पद्म भूषण सम्मान दिया. इसके बावजूद धोनी ने आम जनता को ठगने वाली कम्पनी का ब्राण्ड एम्बेसडर बनना क्यों स्वीकार किया? ग्राहकों के साथ ठगी होनेे पर ब्राण्ड एम्बेसडर्स को दण्डित करने के लिए केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान समेत मोदी सरकार ने अनेक बार कानूनी बदलाव की बात की, परन्तु उन पर अभी तक अमल क्यों नहीं हो रहा है?
आम्रपाली में कालेधन और बेनामी कम्पनियों का तन्त्र- सुप्रीम कोर्ट ने फारेंसिक ऑडिटरों से आम्रपाली मामले की जांच करवाई जिसके बाद कम्पनी के मालिकों को जेल भी भेजा गया. आम्रपाली की 46 कम्पनियों की विस्तृत रिपोर्ट में मालिकों की आपराधिकता का खुलासा हुआ है. ऑडिटरों के अनुसार आम्रपाली ने 100 शेल कम्पनियों के माध्यम से निवेशकों का 3500 करोड़ रुपया गैर-कानूनी तरीके से हस्तगत कर लिया. रिपोर्ट के अनुसार आम्रपाली ने धोनी जैसे 655 अन्य लोगों को तो एक रुपया वर्गफीट के सांकेतिक दाम पर भी घर अलॉट कर दिये. आम्रपाली ने अनेक लोगों से 159 करोड़ रुपये का काला धन भी लिया. आम्रपाली का दावा है कि निर्माण कार्य में उनके समूह ने 15,690 करोड़ रुपये लगाये हैं. जबकि ऑडिटरों की रिपोर्ट के अनुसार आम्रपाली ने जनता के निवेश से ही पूरी हेरा-फेरी की है.
धोनी का संदिग्ध निवेश और हितों का टकराव- क्रिकेट में भ्रष्टाचार की जांच के लिए मुदगल समिति बनी थी. सुप्रीम कोर्ट में सन् 2014 में बहस के दौरान सीनियर एडवोकेट ने सीएसके टीम मामले में अनियमितताओं के लिए धोनी पर गम्भीर आरोप लगाये थे. सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी से जाहिर है कि धोनी ब्राण्ड एम्बेसडर होने के साथ आम्रपाली ज्वाइंट वेंचर कम्पनी में पार्टनर भी बन गये थे. आम्रपाली के साथ ज्वाइंट वेंचर में 25 करोड़ के निवेश पर धोनी को 100 करोड़ मिलने थे, जिस बारे में अब क्लेम किया जा रहा है. होम बायर्स की जमा पूंजी लूटने वाले आम्रपाली ने धोनी को तीन गुना रिटर्न का तोहफा क्यों दिया? आम्रपाली के मालिकों का गैर-कानूनी साथ देने वाले धोनी जैसे लोगों के खिलाफ भी आपराधिक कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए?
धोनी का अपराध और कानूनी प्रावधान- आम्रपाली मामले में नेता, अफसर, खिलाड़ी और अन्य प्रभावशाली लोगों का आपराधिक तन्त्र उजागर हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आम्रपाली ग्रुप ने हजारों लोगों से धोखा-धड़ी करके फर्स्ट डिग्री क्राइम किया है. कोर्ट के अनुसार धोखाधड़ी के पीछे शामिल प्रभावशाली लोगों को नामजद करके उन पर मुकद्मा चलाया जायेगा. धोनी द्वारा कम कीमत पर पेंटहाउस खरीदे जाने से आयकर कानून के अनेक नियमों का उल्लंघन हुआ है. ब्राण्ड एम्बेसडर होने के नाते धोनी को अपने आर्थिक हितों का खुलासा करना चाहिए था. आम्रपाली ने जनता और बैंकों के पैसे से धोखाधड़ी की है, जिससे धोनी भी लाभान्वित हो रहे थे. इसलिए धोनी के निवेश पर आम्रपाली द्वारा तीन गुना रिटर्न का एग्रीमेंट, आर्थिक अपराध के दायरे में आ सकता है. आम्रपाली मामले में सभी दलों के नेता और अफसर बेनकाब हुए हैं और अब अदालत से ही न्याय की उम्मीद है. धोनी मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा तल्ख टिप्पणी के साथ सख्त कार्रवाई करने से ही आम जनता का न्यायिक सिस्टम पर भरोसा लौटेगा.

