विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकवाद का मुद्दा कड़ाई से उठाते हुए पाकिस्तान पर हमला बोला। सुषमा स्वराज ने सधे हुए शब्दों में पाकिस्तान का नाम केवल भारत पर लगाए गए आरोपों के जवाब में ही लिया। उन्होंने पाकिस्तान पर सीधा कोई आरोप नहीं लगाया। जो कहा- उदाहरण सहित कहा। यह अंतरराष्ट्रीय मंच की गरिमा के अनुरूप ही था। कूटनयिक लिहाज से यह भाषण गरिमापूर्ण और स्पष्ट संदेश देने वाला था। पाकिस्तान की पोल भी उन्होंने गरिमापूर्ण अंदाज में खोल दी। उन्होंने पड़ोसी देश से दोस्ती के लिए भारत की ओर से उठाए गए कदमों का जिक्र किया। साथ ही पाक से बदले में मिले धोखे को भी गिनाया। सुषमा ने हिंदी में भाषण देते हुए स्पष्ट किया कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। पाकिस्तान इसका ख्वाब देखना छोड़ दें।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप पर सुषमा ने कहा, ”जिनके खुद के घर शीशे के बने हो वे दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते।” यह पहले से ही साफ था कि भारत बलूचिस्तान और पीओके के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरेगा। सुषमा ने नवाज शरीफ के भाषण से ही पाकिस्तान को यूएन में बेनकाब किया। शरीफ के कश्मीर मुद्दे पर चार शर्तें रखने के जवाब में सुषमा ने कहा कि भारत ने दोस्ती के लिए कोई शर्त नहीं रखी। उन्होंने कहा, ”हमने जब आपको शपथग्रहण में बुलाया तो क्या कोई शर्त रखी थी। जब मैं हर्ट ऑफ एशिया समिट के लिए इस्लामाबाद गई तो क्या मैंने कोई शर्त रखी थी। जब भारत के प्रधानमंत्री काबुल से लाहौर गए तो क्या कोई शर्त थी। हमने बिना शर्त के मुद्दों को सुलझाने की शुरुआत की।”
सुषमा स्वराज का पाकिस्तान को जवाब- जिनके घर शीशे के बने हो वे दूसरो पर पत्थर नहीं फेंका करते
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सुषमा ने भाषण के दौरान वैश्विक मंच का उपयोग करते हुए पठानकोट और उरी हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। पाकिस्तान ने शायद ऐसी उम्मीद नहीं की होगी। उनका भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केरल में दिए भाषण के अनुरूप ही था। जहां पर गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी के मुद्दे पर लड़ने की चुनौती दी गई थी। हालांकि सुषमा ने अपने भाषण में ऐसी चुनौती नहीं दी लेकिन अपनी सरकार की नीतियां और उपलब्धियां बताकर इसी ओर इशारा किया। उन्होंने बिना नाम लिए पाकिस्तान पोल खोली। सुषमा ने कहा, ‘हमारे बीच एक देश है जो आतंक की भाषा बोलता है, इसे पालता है, पोषता है और इसका एक्सपोर्ट करता है। आतंकियों को शरण देना इसका काम बन गया है। हम ऐसे देशों को जिम्मेदार ठहराना होगा। ऐसे देशों के लिए राष्ट्रों के बीच बैठने की कोई जगह नहीं है।
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सुषमा भी पीएम मोदी की तरह ही पाकिस्तान को अलग-थलग करने की मांग दोहराती दिखीं। हालांकि यह साफ नहीं हो पाया कि ऐसा किया कैसे जाएगा। क्योंकि भारत कई सालों से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरता रहा है। लेकिन अमेरिका पाक को वित्तीय मदद देता है, तो चीन पाक में कई बड़ी योजनाओं में लगा हुआ है। रूस वर्तमान में पाकिस्तानी सेना के साथ सैन्याभ्यास कर रहा है। सुषमा का भाषण इस अंदाज में भी जुदा था कि इसमें युद्ध छेड़ने जैसी उग्रता के बजाय रणनीतिक रूप से पाकिस्तान को कमजोर किए जाने का इशारा था। सुषमा ने न्यूयॉर्क में 9/11 हमले का जिक्र कर आतंकवाद का मुद्दा उठाया। इसके बाद ढाका, इस्तांबुल हमलों का जिक्र किया। इससे भारत बांग्लादेश और तुर्की सहित अन्य मुस्लिम देशों से भी इस मुद्दे पर समर्थन लेगा।
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