बॉलीवुड फिल्म निर्देशक करण जौहर ने 5 मार्च को अपने ट्विटर हैंडल से एक लेटर जारी करके सरोगेसी के जरिए अपने पिता बनने की आधिकारिक घोषणा कर दी। मेडिकल साइंस की मदद से वह जुड़वा बच्चों (एक बेटा और एक बेटी) के पिता बन गए हैं। सार्वजनिक किए गए इस लेटर में करण ने पिता बनने की खुशी और भावनाओं का खुल कर इजहार किया। करण ने लिखा- मैं अपने बच्चों को पालने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हूं। मैं उन्हें ढेर सारा प्यार दूंगा और उनकी खूब देखभाल करूंगा। वैसे करण ने इस बारे में हिंट अपनी ऑटोबायोग्राफी के लॉन्च के दौरान ही दे दिया था। बुक रिलीज के वक्त उन्होंने कहा था, मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूंगा लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि मैं पिता बनना पसंद करूंगा। मुझे नहीं पता कि यह कैसे होगा लेकिन मुझे इसकी जरूरत महसूस होती है क्योंकि मेरे पास देने के लिए ढेर सारा प्यार है।

जाहिर तौर पर करण बॉलीवुड में पहले ऐसे शख्स नहीं हैं जो सरोगेसी के जरिए पिता बने हैं। इससे पहले सुपरस्टार शाहरुख खान का बेटा अबराम और तुषार कपूर का बेटे लक्ष्य का भी जन्म इसी पद्यति के जरिए हुआ था। हालांकि इस तरह से सिंगल पेरेंट बनने वाले सभी बॉलीवुड स्टार्स के लिए बुरी खबर उस वक्त आई जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने पिछले साल नवंबर में लोकसभा में सरॉगसी (रेग्युलेशन) बिल पेश किया। इस ड्राफ्ट बिल में कमर्शल सरॉगसी (पैसे देकर ली जाने वाली किराए की कोख) पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस प्रतिबंध के तहत सरॉगट मदर को किसी भी तरह का पेमेंट नहीं किया जा सकेगा। साथ ही इसमें इसके तहत कुंवारे लोगों, विदेशियों और भारतीय मूल के लोगों के लिए सरॉगसी पर बैन है।

जनवरी 2017 में राज्यसभा अध्यक्ष ने यह बिल स्थायी संसदीय समिति (स्वास्थ्य) को भेजते हुए 3 महीने में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। गौर करने की बात यह है कि यदि यह बिल कानून में परिवर्तित होता है तो करण जौहर को सिंगल पेरेंट का सुख प्राप्त नहीं हो सकेगा और उन्हें शादी करनी होगी। भले ही करण जौहर खुद को एक पिता बनने और बच्चों का पालन पोषण करने के लिए तैयार बता रहे हैं लेकिन ड्राफ्टेड बिल के नियमों को देख कर लगता है शायद जे. पी. नड्डा बच्चे को मां का प्यार नहीं मिलने को गलत मानते हैं। साथ ही जिस तरह से बॉलीवुड में बिना शादी किए पिता बनने का ट्रेंड बढ़ता चला जा रहा है इससे कहीं न कहीं समाज में भी एक गलत संदेश जाता है और शादी की संस्था से लोगों का भरोसा उठने का खतरा मंडराता नजर आता है।

रजिस्ट्रेशन में करण जौहर को बच्चों का पिता बताया गया है, लेकिन मां के नाम का जिक्र नहीं है। करण ने सार्वजनिक किए गए लेटर में भी कहीं बच्चों की मां का जिक्र नहीं किया है, लेकिन यह जरूर लिखा है कि मैं एक बहुत अच्छी मां बनकर दिखाऊंगा। हालांकि करण ने नाम नहीं लेते हुए बच्चों की मां को धन्यवाद कहा है जिसने इन दोनों बच्चों को जन्म दिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या वाकई एक मर्द अकेले ही एक मां और पिता की जिम्मेदारियां उठा सकता है? एक समाज कई सारे परिवारों से मिल कर बनता है और निश्चित रूप से एक बच्चे को समाज की ए बी सी डी समझने के लिए एक परिवार का हिस्सा होना और उसे बुनियादी रूप से समझना जरूरी है। कहीं न कहीं इस तरह का फैसले प्रकृति की मूल नियमों से खिलवाड़ करना भी है।

चैट शो कॉफी विद करण में दिग्गज बॉलीवुड स्टार्स से सेक्स और निजी जिंदगी को लेकर सवाल करने वाले करण जौहर के बारे में एक तथ्य यह भी है कि उनकी खुद के सेक्स और सेक्सुअल लाइफ को लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे। करण ने अपनी किताब में इस बात का जिक्र भी किया है कि किस तरह उन्हें जिंदगी भर सेक्स संबंधित सवालों का लगातार सामने करते रहना पड़ा। हालांकि यहां मुद्दा यह है कि करण को ऐसा क्यों लगता है कि वह एक माता और पिता की कमी अकेले ही पूरी कर सकते हैं। मेडिकल साइंस की मेहरबानी से किराए की कोख मिलना तो आज मुनासिब है लेकिन काश कि बच्चों को मां का प्यार देने के लिए करण जौहर किराए की मां भी ला सकते। फिलहाल जब तक जे पी नड्डा द्वारा लाया गया बिल कानून नहीं बनता करण सिंगल पेरेंट होने का सुख उठाने के लिए आजाद है। हालांकि यह सवाल अब भी है कि क्या एक पिता अकेले ही परिवार और समाज की कड़ियों के बुनियादी नियमों को दरकिनार करते हुए बच्चे का पालन पोषण कर उसे स्वस्थ्य मानसिक माहौल दे सकता है?