31 दिसम्बर की रात घड़ी की सुइयां जब 23 बजकर 59 मिनट और 59 सेकेण्ड के आगे गुज़रेंगी, कैलेंडर बदल जायेगा, और गुजराती सांसों की तरह एक और बरस बीत जायेगा। बरस 2016 को कल बनाकर एक नया साल अस्तित्व में आयेगा। और वो नया साल 2017 कहलाएगा।नए साल का आगाज बुद्धादित्य नामक राजयोग के साये में होगा।
जब नया साल 2017 वजूद में आयेगा, राजकुमार बुध अपने शत्रु वृहस्पति के घर धनु में चक्रमण करते नज़र आयेंगे, जहां वो अपने परम मित्र सूर्य के साथ बुद्धादित्य नामक राजयोग भी बनाकर नई उम्मीद जगायेंगे। वहीं ज्ञान के देव वृहस्पति भी उसी शत्रु बुध की राशि कन्या अपनी ही राशि मीन पर नज़र गड़ायेंगे, कभी मुस्कुराएँगे, कभी बेचैन हो जायेंगे।
न्यायाधीश शनि, जहां सेनापति मंगल के घर वृश्चिक से बोरिया बिस्तर समेटते लपेटते भृकुटि चढ़ायेंगे, लोग उनके जाने का शुक्र मनायेंगे।वहीं शुक्र और केतु के साथ मंगल भी शत्रु शनि के घर कुम्भ में हुंकार लगायेगा। प्रखर मस्तिष्क का मालिक राहु अपने महाशत्रु सूर्य के घर सिंह में कुछ अलग ही गुल खिलायेगा, वो निश्चित रूप से सकारात्मक स्थिति नहीं बनायेगा।
विकसित राष्ट्रों के मध्य भारत का दबदबा बढ़ेगा। वहीं विश्व पटल पर पाकिस्तान की स्थिति कुछ कमज़ोर होगी। अगले वर्ष में भारत की चिन्ता का सबब पाकिस्तान की ख़ुराफ़ात से ज़्यादा चीन का तेवर होग। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शानदार और असहज दोनो स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की। नरेंद्र मोदी सरकार की नोटबंदी को लेकर काफी आलोचना हुई है। नोटबंदी के बाद आम लोगों को कई तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। 26 जनवरी, 2017 को जब शनिदेव अपने बासठ चन्द्रमाओं के साथ अपना घर बदलेंगे, कई सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। नोटबंदी से उपजी दिक्कतें 26 जनवरी के बाद धीरे-धीरे कम होने लगेंगी। टैक्स का स्वामी मंगल होने से हुक्मरान जनता को टैक्स के साथ अन्य प्रकार से क्षणिक राहत प्रदान करेंगे। 21 मई से शनि के वक्री होने से 18 नवम्बर को उसके मार्गी होने तक के बीच में अर्थव्यवस्था की रफ़्तार सुस्त होने से नोटबंदी के फ़ायदे के साथ उसके साइड-इफ़ेक्ट भी दिखाई देंगे। सरकार के किये-कराये पर एक बार के लिये प्रश्न चिन्ह लग जायेगा।

