उत्तर प्रदेश चुनाव नतीजों के एलान के सात दिन बाद आखिरकार भाजपा ने मुख्यमंत्री का चयन कर लिया। शनिवार (18 मार्च) को लखनऊ के लोक भवन में भाजपा के नव निर्वाचित विधायकों ने योगी आदित्यनाथ को अपना नेता चुन लिया। भाजपा का पंद्रह वर्षों का वनवास खत्म होने के साथ ही आदित्यनाथ सूबे के 21वें मुख्यमंत्री होंगे। उनके साथ ही केशव प्रसाद मौर्या और दिनेश शर्मा उप मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल यह कि क्या भाजपा सिर्फ चुनाव जीतने के लिए ही विकास का राग अलापती है और चुनाव जीत जाने के बाद अपने मूल मुद्दे यानी हिन्दुत्व के एजेंडे पर वापस आ जाती है। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में नव नियुक्त मुख्यमंत्रियों के चयन से तो कुछ ऐसा ही जाहिर होता है क्योंकि 45 साल के योगी आदित्यनाथ की छवि एक कट्टर हिन्दूवादी नेता के रूप में रही है। उन्होंने कभी भी न तो विकास को मुद्दा बताया और न ही अपने चुनावी भाषणों में विकास का जिक्र किया।
साल 1998 से गोरखपुर के लगातार पांच बार सांसद रहे आदित्यनाथ हिन्दू वाहिनी सेना और गोरक्षणीपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। उन्होंने अक्सर अपने भाषणों में लव जेहाद, धर्मांतरण और समान नागरिक संहिता की ही बात की है। मतलब साफ है कि उन्होंने हमेशा से हिन्दू मतदाताओं के ध्रुवीकरण की कोशिश की है। उधर, उत्तराखंड के नव नियुक्त मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पहचान भी आरएसएस के कट्टर समर्थक और प्रचारक के रूप में ही रही है। उनकी छवि भी हिन्दुत्ववादी रही है। बावजूद इसके भाजपा ने इन दोनों चेहरों को इन दोनों अहम प्रदेशों में सत्ता की बागडोर सौंपी है। दूसरी तरफ चुनावी घोषणा पत्रों में भी भाजपा ने हमेशा विकास, सुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफत की बात कही। राम मंदिर निर्माण पर भी पार्टी ने बहुत कुछ नहीं कहा।
इसका सीधा-सीधा अर्थ निकाला जा सकता है कि भाजपा अपने पुराने एजेंडे से बाहर नहीं निकल सकी है। यह अलग बात है कि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब चुनावी भाषण देते हैं तो विकास की चासनी में हिन्दुत्व के एजेंडे को लपेट कर जनता के सामने परोसते हैं। यूपी विधान सभा चुनाव में भी पीएम मोदी ने रमजान पर बिजली देने और दीवाली पर बिजली नहीं देने की बात कही थी। इसके अलावा उन्होंने श्मसान और कब्रिस्तान का मुद्दा उठाया था। जाहिर है कि पीएम के मुंह से निकले ऐसे मुद्दे हिन्दू मतदाताओं को गोलबंद करने में कामयाब रहे लेकिन चुनाव जीतने के बाद जब 12 मार्च को पीएम मोदी ने भाजपा मुख्यालय में ओजस्वीपूर्ण और भावुक भाषण दिया तो ऐसा लगा कि भाजपा और खुद प्रधानमंत्री मोदी अब दोबारा हिन्दुत्व के एजेंडे पर नहीं लौटेंगे, सिर्फ विकास और सुशासन की राह पर चलेंगे और अपने मुख्यमंत्रियों के चलने के लिए प्रेरित करेंगे लेकिन पांच-छह दिनों के अंदर ही भाजपा ने यूटर्न लेते हुए फिर से अपने मूल चरित्र (हिन्दुत्व) का प्रदर्शन करा दिया।
अब इसे मजबूरी कहें या फिर चुनावी रणनीति। दरअसल, साल 2019 के आगामी लोकसभा चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए ही पीएम मोदी और उनके चाणक्य कहे जाने वाले मित्र भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ये राह अपनाई है। ये लोग चाहते हैं कि विकास रूपी सपनों के मीनार के नीचे हिन्दुत्व की विचारधारा पर जो सियासी जमीन तैयार हुई है वह कम से कम साल 2019 तक कायम रहे क्योंकि अगर यह सियासी जमीन और सियासी माहौल 2019 तक बना रहा तब तो पीएम मोदी के लिए 2019 का आम चुनाव जीतना बहुत आसान होगा, वरना उन्हें मुश्किल हो सकती है क्योंकि बदले राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दल ऐसी रणनीति और गठबंधन की चर्चा करने लगे हैं जो मोदी के विजय रथ को रोक सके।
ऐसी परिस्थितियों में देश के सबसे बड़े राज्य में जहां से लोकसभा के 80 सदस्य चुने जाते हैं, वहां हिन्दुत्व की हवा बनाए रखना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती थी और इसी मुहिम में योगी आदित्यनाथ भाजपा को एक खेवनहार के रूप में नजर आए जो संभवत: चुनावी बैतरणी पार कराने में कामयाब हो सकें। भाजपा ने पूर्वांचल के इस बड़े नेता की ताजपोशी कर पड़ोसी राज्य बिहार में भी बड़ा संदेश देने की कोशिश की है, जहां पहले आडवाणी का राम रथ और 2015 में मोदी का विजय रथ रोका जा चुका है। आदित्यनाथ सरकार पर सवर्णवादी और हिन्दुवादी सरकार का ठप्पा न लगे इसके डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी ने ओबीसी चेहरे के रूप में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और ब्राह्मण तुष्टिकरण के तौर पर दिनेश शर्मा को उप मुख्यमंत्री बना दिया है। बाकी सामाजिक समरसता आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में देखने को मिल सकती है।
BJP's press conference in Lucknow, Yogi Adityanath to take oath as UP CM tomorrow,Keshav Prasad Maurya and Dinesh Sharma deputy CMs pic.twitter.com/CKuMUhlQNg
— ANI (@ANI) March 18, 2017
#WATCH: Five time MP from Gorakhpur Yogi Adityanath set to become next Uttar Pradesh CM, supporters in Gorakhpur rejoice pic.twitter.com/Y6DLZiN0Qw
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 18, 2017