छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने वाले नीतीश कुमार के लिए कल यानी शुक्रवार (28 जुलाई) का दिन अहम है। उन्हें बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करना है। हालांकि, कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार बीजेपी और उनके सहयोगी दलों के समर्थन से विश्वास मत परीक्षण जीत लेंगे लेकिन इस बीच कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि जदयू के कुछ बागी विधायक उनका खेल बिगाड़ सकते हैं। 243 सदस्यों वाली बिहार विधान सभा में जदयू के 71 विधायक हैं जबकि बीजेपी और सहयोगी दलों के कुल 58 विधायक हैं। इन दोनों के जोड़ से आंकड़ा 129 तक जा पहुंचता है जो बहुमत के लिए जरूरी 122 मतों से सात ज्यादा है लेकिन घात-प्रतिघात की आशंकाओं के बीच जरूरी आंकड़े कम ना पड़ जाएं इसलिए पहले से ही कोशिशें जारी हैं। इसी क्रम में दो निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन पहले से ही हासिल किया जा चुका है।
इधर, जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव, राज्यसभा सांसद अली अनवर और वीरेन्द्र कुमार अपनी-अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। माना जा रहा है कि इन नेताओं के विश्वस्त विधायक विश्वास मत परीक्षण में खेल कर सकते हैं। जिन विधायकों के बारे में बागी होने की खबरें हैं उनमें से अधिकांश मुस्लिम और यादव हैं। पश्चिम बंगाल जदयू के अध्यक्ष भी कह चुके हैं कि बीजेपी के साथ गठबंधन करने से जदयू के मुस्लिम विधायक पार्टी से किनारा कर सकते हैं। खबरें हैं कि जदयू के बीस विधायक बागी हो सकते हैं। हालांकि, डैमेज कंट्रोल की कोशिशें जारी हैं। बावजूद, इसके अगर 10 विधायक भी बागी हुए तो नीतीश कुमार के लिए विश्वास मत जीतना मुश्किल हो सकता है।
माना जा रहा है कि इन विधायकों के सामने समस्या यह आ गई है कि उनलोगों ने साम्प्रदायिक शक्तियों का विरोध कर चुनाव जीता था लेकिन अब उनकी पार्टी ने उन्हीं ताकतों के साथ मिलकर सरकार बना ली है। ऐसे में इन नेताओं को अपने वोटरों को यह समझाने में काफी परेशानी हो सकती है। लगे हाथ दोबारा चुनाव जीतने में भी उन्हें मुश्किल हो सकती है। लिहाज, ये विधायक नीतीश के खिलाफ बागी होकर हर तरह की मुश्किल झेलने को तैयार हो सकते हैं लेकिन साम्प्रदायिक शक्तियों के सामने घुटने नहीं टेकने को तैयार हो सकते।
बिहार विधान सभा में जनता दल यूनाइटेड के विधायकों की लिस्ट:
राजनीतिक जानकारों की मानें तो सीमांचल से आनेवाले अधिकांश मुस्लिम विधायकों के साथ-साथ यादव विधायक भी नीतीश सरकार के विश्वास मत परीक्षण में खेल कर सकते हैं। हालांकि, नीतीश ने पहले ही राजनीतिक चाल चलते हुए विधान सभा अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने नजदीकी विजय कुमार चौधरी को बैठा दिया था। ताकि ऐसी स्थिति में वो उनका भरपूर साथ दे सकें। यानी, बागी होने की सूरत में जदयू विधायकों की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है। बावजूद इसके कहा जा रहा है कि कुछ विधायक नीतीश के खिलाफ बागी रुख अख्तियार कर सकते हैं।