भारत के नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक (CAG) ने यूआईडीएआई (UIDAI) की तरफ से आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए हैं। कैग ने कहा कि कुछ मामले ऐसे देखने को मिले हैं, जिनमें कई साल बाद भी आधार कार्ड (Aadhaar Card) धारकों के डेटा का उनके आधार नंबर से मिलान नहीं किया गया है। कैग ने 108 पन्नों की रिपोर्ट में एक ही व्यक्ति को डुप्लीकेट आधार कार्ड जारी होने, नागरिकों की गोपनीयता को खतरा और डेटा संग्रह के लिए व्यवस्था की कमी जैसे मुद्दों को उठाया है।
यूआईडीएआई देश के सभी निवासियों को आधार जारी करने के लिए 2016 में स्थापित वैधानिक प्राधिकरण है और 31 अक्टूबर, 2021 तक 131.68 करोड़ आधार नंबर जारी कर चुका है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में गलतियों के लिए जिम्मेदार कारकों का पता लगाने के लिए एक सिस्टम की कमी की भी आलोचना की और कहा कि भले ही यूआईडीएआई दुनियाभर के सबसे बड़े बायोमेट्रिक डेटाबेस में से एक है लेकिन इसमें डेटा को संग्रहित करके रखने के लिए ठीक से कोई व्यवस्था नहीं है, जो कि बहुत महत्वपूर्ण है।
कैग ने कहा कि यूआईडीएआई ने यह भी सुनिश्चित नहीं किया कि प्रमाणीकरण के लिए एजेंसियों या कंपनियों द्वारा उपयोग किए जा रहे एप्लिकेशन या उपकरण नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी संग्रहीत करने में सक्षम हैं या नहीं। यह नागरिकों की गोपनीयता को खतरे में डालता है। सीएजी ने कहा कि यूआईडीएआई ने यह पुष्टि नहीं की कि आवेदन करने वाले व्यक्ति के पास ऐसे प्रमाण या दस्तावेज उपलब्ध हैं जो यह साबित करते हों कि वह नियमों द्वारा निर्दिष्ट अवधि के लिए भारत में रहता है या नहीं। इसलिए इस बात का कोई भरोसा नहीं है कि देश में सभी आधार धारक भारत के निवासी हैं, जैसा कि आधार अधिनियम में परिभाषित किया गया है।
बड़ी संख्या में सरकार को वापस भेजे गए आधार कार्ड</strong>
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूआईडीएआई के पास डाक विभाग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, जिस कारण बड़ी संख्या में आधार कार्ड सरकार को वापस कर दिए गए, क्योंकि उन्हें इच्छित प्राप्तकर्ताओं के पास नहीं पहुंचाया जा सका। रिपोर्ट के मुताबिक, कैग ने कहा कि यूआईडीएआई ने अधूरी जानकारी और बेकार गुणवत्ता वाले बायोमेट्रिक के साथ आधार नंबर जारी किए हैं। इस कारण एक ही व्यक्ति को डुप्लीकेट आधार कार्ड जारी होने के मामले भी देखे गए हैं।
