एक सरकारी मिडिल स्कूल का माहौल, जिसके हेडमास्टर और उनके सहयोगी शिक्षक स्कूल के फंड का बंटवारा करते हैं। बच्चों को पढ़ाने से मतलब नहीं, बस खेती-बाड़ी और शिक्षक राजनीति पर ध्यान देते हैं। स्कूल का चपरासी हेडमास्टर का निजी नौकर जैसा हो गया है। हेडमास्टर और उनके सहयोगियों ने ऊपर के अधिकारियों को अपने साथ कर रखा है। ऐसे में एक दिन मेरिट के आधार पर एक नई शिक्षिका की नियुक्ति उसी स्कूल में होती है।
वह शिक्षिका जब पढ़ाई पर जोर देती है और बच्चों के पोषण की बात उठाती है तो उसे हटाने की साजिश रची जाती है। लेकिन अंत में गड़बड़ियों का भंडाफोड़ होता है। ये दृश्य हैं कथाकार स्वर्गीय नरेंद्र रस्तोगी ‘मशरक’ के नाटक ‘मास्टर गनेसी राम’ के। मंचन नई दिल्ली के मुक्तधारा सभागार में हुआ। 35 साल पहले लिखे गए इस नाटक को विभिन्न थिएटर समूहों द्वारा हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी और भोजपुरी थिएटर मंचों पर प्रस्तुत किया जा रहा है। मूल रूप में कहानी लिखी गई थी ‘सलाम मास्टर गनेसी राम’। आकाशवाणी कलकत्ता के लिए लेखक ने ही इसका नाट्य रूपांतरण किया था।
‘गनेसी राम तो उड़ती चिड़िया को हरदी लगा देते हैं, यह तो अभी नई चिरैया है’। ‘वन का गीदड़ जाएगा किधर’। ‘हम भी दिखा देंगे कि कितना धान में कितना चाउर होता है’। ‘इनके कहने से हम सबकुछ छोड़छाड़ कर संन्यासी हो जाएं’। नाटक के ये संवाद एक चुटीलेपन के साथ व्यवस्था के स्याह पक्ष को रचते हैं। दिल्ली में ‘रंगश्री’ ने इसका मंचन किया। अभिनेताओं ने अपना बेहतर दिया। मास्टर गनेसी राम के द्वारा छाता को चपरासी के गर्दन में डालकर आगे खींचना, हेडमास्टर के डपटने पर उनके सहयोगी शिक्षक बुद्धिनाथ के द्वारा पान गटक जाना, डिप्टी साहेब को घूस के तौर पर घी और सेजाव दही पहुंचाना, चपरासी द्वारा हेडमास्टर के घर का काम करते हुए बड़बड़ाना और उनकी पत्नी के बुलावे पर हाथ जोड़ते पहुंचना जैसे दृश्य यथार्थपरक थे।
निर्देशक महेंद्र प्रसाद सिंह (मास्टर गनेसी राम की भूमिका), सहायक निर्देशक लव कांत सिंह लव, रुस्तम कुमार, अखिलेश कुमार पांडेय , किरण अरोड़ा, डिप्टी साहेब, मस्टराइन बिल्कुल उसी अंदाज में दिखे, जिस तरह की कल्पना नाटककार ने की थी। सांसद मनोज तिवारी, प्रोफेसर जयकांत सिंह जय, ब्रजभूषण सिंह समेत विभिन्न हस्तियों ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। मंच व्यवस्था सुचित्रा सिंह, पार्श्व ध्वनि-गौरव सूद एवं अंजू सिंह, पार्श्व संगीत-रश्मि गोदारा, पुष्पा पाठक, मंच सज्जा-तारक सरकार, प्रकाश-सौमित्र वर्मा, मेकअप-रविकांत और नम्रता सिंह, समन्वयन-रश्मि चौधरी और फोटोग्राफी रविकांत यादव की थी।
रोहित कुमार

