लवली आनंद
अगर किसी को कहा जाए कि आपके कमरे में सफेद रंग की कितनी वस्तुएं मौजूद हैं तो वह बहुत आसानी से गिनती कर एक निश्चित संख्या के रूप में जवाब देगा। लेकिन अगर उसके बाद कहा जाए कि उस दौरान आपने लाल रंग की कितनी वस्तुएं देखीं तो उसका जवाब होगा कि इस ओर तो ध्यान ही नहीं दिया। हमारे जीवन में भी हमारे साथ कुछ इसी तरह से चीजें घटित होती हैं। हमारा जीवन अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों के साथ से सज्जित होता है। इसमें उतार-चढ़ाव दोनों होते हैं।
हम अपने जीवन में कभी सफल होते हैं तो कभी असफल होते हैं। हमारे हिस्से कभी उपलब्धियां आती हैं तो कभी विफलता हमारे हाथ लगती है। लेकिन अधिकतर समय हम अपनी विफलताओं से ही खुद को जोड़ कर बैठे रहते हैं, इसलिए हमें अपनी उपलब्धियां नहीं दिखती हैं। हम यह भूल जाते हैं कि हम कई मामलों में लाखों से बेहतर हैं, लेकिन हमारी चिंता अपने आसपास गिने-चुने कुछ लोगों से पिछड़ने की होती है। लेकिन यह गुण सामान्य मनुष्य का गुण है, अक्सर बेहद सफल लोगों में यह गुण नहीं पाया जाता है।
आज जिन नामों को हम बहुत प्रतिष्ठित, विख्यात और अपने क्षेत्र के धुरंधर के रूप में जानते हैं, उन सभी में एक उभयनिष्ठ गुण यह रहा कि उन्होंने हमेशा अपने जीवन के सकारात्मक पहलू को देखा। उन्होंने अपने जीवन की उपलब्धियों को देखा। वहां से प्रेरित हुए और एक नए आत्मविश्वास के साथ कदम बढ़ाते रहे। उनकी इस विशिष्ट आदत ने उन्हें विशिष्ट बनाया है।
उपलब्धियों पर केंद्रित करने की हमारी मानसिकता हमें एक नई ऊंचाई की ओर ले जाने के लिए प्रेरित करती है। वहीं जब हम अपनी कमियों पर खुद को केंद्रित करते हैं तो अपनी कमियों के गर्त में नीचे की ओर जाने लगते हैं। हमारी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम अपने जीवन की उर्जा को किस दिशा में खर्च करते हुए उपयोग करते हैं।
हम अगर उपलब्धि के बारे में गहराई से झांकने की कोशिश करेंगे तो उसे कई हिस्सों में वर्गीकृत कर सकते हैं। जैसे कि कौशल संबंधी उपलब्धियां, बौद्धिक, आर्थिक व सामाजिक या किसी क्षेत्र विशेष से संबंधित उपलब्धि आदि। एचरास पैरो का कहना है- ‘मानव का स्वभाव कुछ ऐसा है कि अपनी महानतम उपलब्धियों के क्षणों में वह लापरवाह होने लगता है। कामयाब होने के साथ ही आपको काफी आत्मअनुशासन की आवश्यकता होगी और संतुलन कायम रखते हुए विनम्रता और प्रतिबद्धता का परिचय देना होगा।’
कौशल संबंधी उपलब्धि से हमारा तात्पर्य किसी क्षेत्र विशेष या कार्य विशेष में कुशलता को प्राप्त करने से है। इसमें काम करने के तरीकों में सुधार और अपनी गलतियों को ठीक करना शामिल है। जब हम किसी कार्य विशेष या क्षेत्र विशेष में निपुणता हासिल कर लेते हैं और गलती करने की संभावना न्यूनतम हो जाती है तो यह कहा जा सकता है कि हमने उस क्षेत्र विशेष या कार्य विशेष में कौशल प्राप्त कर ली है।
इसे किसी भी साधारण या सामान्य कार्य जैसे साइकिल चलाना या कंप्यूटर पर काम करने से लेकर राकेट या अंतरिक्ष संबंधी जैसे असामान्य और असाधारण कार्यक्षेत्र के संदर्भ में समझ सकते हैं। उपलब्धि को प्राप्त करने के दौरान शुरुआती दौर में हम बहुत बार विफल होते हैं, लेकिन हम अपनी गलतियों से सीखते हैं और निपुण होते जाते हैं।
इसके साथ-साथ बौद्धिक, आर्थिक और सामाजिक उपलब्धि के अलग-अलग प्रकार हैं, जिसमें समय के साथ व्यक्ति शिक्षण और ज्ञानार्जन के द्वारा अपने बोध के नए स्तर को छूता है। आर्थिक उपलब्धि में व्यक्ति आर्थिक दृष्टिकोण से सशक्त और सुदृढ़ होता है और इसके साथ-साथ सामाजिक उपलब्धि में वह सामाजिक तौर पर अपनी पहचान को बेहतर बनाता जाता है और सामाजिक स्तर के बदलाव को लेकर समूह के द्वारा स्वीकार्यता प्राप्त करता है। यह एक दिन में होने वाली प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है जो समय के साथ लगातार प्रयास से सकारात्मक परिणाम देती है। जवाहरलाल नेहरू ने कहा है- ‘अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है, कायरों की नहीं।’
उपलब्धि एक दिन में प्राप्त नहीं की जा सकती है। इसे लेकर हम अपने सकारात्मक पहलू को ध्यान में रखते हुए उस पर कार्य कर खुद को बेहतर बनाते जाते हैं। हर बीतते दिन के साथ कौशल, बौद्धिक, आर्थिक या सामाजिक स्थिति में लाया गया सकारात्मक बदलाव समय के बीतते हिस्से के साथ अतीत की उपलब्धि कही जा सकती है।
हमारा वर्तमान प्रयास जिसमें सकारात्मक बदलाव हो रहा हो, वही भविष्य के लिए उपलब्धि बन जाती है। अगर हम जीवन के कालखंड को तीन हिस्सों में बांटें तो भविष्य को मंजिल कहा जा सकता है, जहां पहुंचने की ललक ही हमें वर्तमान में कार्य करने के लिए प्रेरित रखती है और भविष्य के कालखंड की उपलब्धि बनकर उभरती है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि भविष्य की उपलब्धियां वर्तमान में किए जाने वाले सतत प्रयास के साथ भविष्य का निर्माण करती है।