राजेंद्र प्रसाद
अनेक जीवधारियों की रचना करके प्रकृति ने संसार को बहुत विलक्षण और बेजोड़ बनाया है। किसी भी जीव का अच्छा स्वास्थ्य कुदरत का सबसे बड़ा उपहार है। ऋषि-मुनियों और तपस्वियों ने जीव में तन, मन और आत्मा का वास बताया है। स्वस्थ मन में स्वस्थ तन और स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का विकास तेजी से होता है। उसी कारण अच्छे मन और स्वास्थ्य की अद्भुत युति से ओतप्रोत आत्मबल से विशेषकर संघर्ष करता मानव बहुत विकसित और उच्च स्थिति में पहुंच सकता है।
कठिन परिस्थितियों में संघर्ष से आत्मबल पैदा होता है
अनेक शोधों से प्रमाणित है कि सकारात्मक सोच उच्च सोपान तक पहुंचा सकती है, जो न केवल बलशाली बनाती, बल्कि अबाध उत्साह भी जगाती है। माना जाता है कि संसार मन की रचना है। मन सभी के पास है, मगर मनोबल कुछ के पास होता है। अगर सब कुछ खोकर भी कुछ करने की हिम्मत है, तो समझना चाहिए कि हमने कुछ नहीं खोया। कठिन परिस्थितियों में संघर्ष से आत्मबल पैदा होता है। जीत निश्चित हो तो कायर भी जंग लड़ लेते हैं। बहादुर वे हैं, जो हार निश्चित हो तो भी मैदान नहीं छोड़ते।
सकारात्मकता अंतर्मन की शक्ति को बाह्य रूप में बदलती है
आमतौर पर शरीर में कोई व्याधि आ जाए तो कमजोर मन वाला जल्दी हथियार डाल देता है, वहीं मजबूत अंतर्मन वाला जूझता है तो उसमें संघर्ष करने की संभावना बढ़ती है। सकारात्मकता अंतर्मन की शक्ति को बाह्य रूप में परिवर्तित करती है, तभी निचले दर्जे का व्यक्ति मन के हारे हार, मन के जीते जीत से लोहा मनवाता है। मन कमजोर हुआ तो मजबूत शरीर भी कमजोर होता है। मनुष्य परिस्थितिवश उतना कमजोर नहीं होता, जितना कमजोर खुद होता है। दर्द सबके एक हैं, मगर हौसले से कोई हताशा में बिखर गया तो कोई संघर्ष से निखर गया।
कैंसर के जानलेवा रोग से जूझने के क्रम में पित्त की थैली का आपरेशन कराना पड़ा। डाक्टर शल्य चिकित्सा से पहले पूछने लगे कि क्या आप तैयार हैं तो जवाब मिला कि जरूर। डाक्टर विजयी मुद्रा का संकेत करता हुआ मुस्कराया। कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। अंदर छिपी भयावह बीमारी पीछा कर रही थी। इलाज का क्रम आगे बढ़ने पर कीमोथेरापी के डाक्टर ने जब कहा कि क्या तकलीफ है, तो उसे जवाब मिला कि कुछ तकलीफ नहीं, बल्कि तकलीफ डाक्टरों को है। कभी नाव में पानी और कभी पानी में नाव पर हमें पार जाना है, जहां ईश्वर हमें ले जाना चाहता है। न मर्जी से यहां संसार में आए हैं और न मर्जी यहां से जाएंगे। डाक्टर इस अंदाज से खुश हुए कि इस सकारात्मक सोच बीमारी पर विजय पाने में चिकित्सा और दवाइयों से भी ज्यादा मदद करेगी।
यों भी अच्छी चिकित्सा के अच्छे नतीजे इस बात पर निर्भर हैं कि डाक्टर का बर्ताव कितना सकारात्मक और मरीज को खुश और आश्वस्त करने वाला होता है और अपनी बीमारी की अवस्था में मरीज अपने भीतर अपना हौसला कितना कायम रख पाता है, परिस्थितियों के प्रति कितना सकारात्मक रह पाता है। शरीर में रसायनों की गतिविधियां इन्हीं मनोस्थितियों पर निर्भर करती हैं, जो व्यक्ति को बचाती हैं या नष्ट करने की ओर धकेल देती हैं। मन के उभरते सकारात्मक विचार हमें आगे बढ़ने में मदद करेंगे और नकारात्मक विचार आगे बढ़ने से रोकेंगे।
सकारात्मक विचार हमारे सोचने का गलत ढंग बदलते हैं। निराशावादी व्यक्ति को अवसर में भी कठिनाई नजर आती है और आशावादी को कठिनाई में भी अवसर नजर आता है, जो आत्मविश्वास से विजयी होते हैं। सकारात्मक विचार आत्मविश्वास की जान है। इसका मतलब यह नहीं है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, बल्कि इसका अर्थ है कि हम जल्दी ठीक होंगे, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों। यह बात कोई मायने नहीं रखती कि जीवन में कितना धीरे चलें, पर यह महत्त्वपूर्ण है कि बिना रुके चलें।
रेखांकित करनेवाली बात है कि जीवन में उत्साह के बिना नकारात्मकता बढ़ती है। सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ा जाए, तभी बाधाएं दूर होंगी। मुसीबतें खिलौना हैं और तय हमें करना है कि इनके साथ खेलना है या झेलना है। नकारात्मक विचारों से सकारात्मक जीवन नहीं जी सकते। अच्छी और सकारात्मक सोच के बिना अगर हम जीवन में कुछ बढ़ भले ही जाएं, लेकिन बहुत आगे नहीं बढ़ सकते। सकारात्मक विचार ऊर्जावान बनाकर जीने की कला को समृद्ध बनाते हैं। जब मन में सकारात्मक विचारों का बाहुल्य होगा तो नकारात्मक विचार पहले ही मरे मिलेंगे।
नकारात्मक विचार न केवल दुख लाते हैं, बल्कि भविष्य की सोच और परिस्थिति पर भी असर डालते हैं। सकारात्मक विचार ताकतवर बनाते हैं और नकारात्मक विचार हमें निरंतर कमजोर करते हैं। सकारात्मक विचारधारा मौन प्रार्थना है, जो हमारी जिंदगी बदल दे सकती है। अगर हम सोचते हैं कि सब कुछ अच्छा होगा तो जरूर कुछ अच्छा होगा। ऐसे में नकारात्मक विचारों वालों से दूर रहा जाए तो अच्छा है, क्योंकि उनके पास हर समाधान के लिए केवल समस्याएं होती हैं। सोच का प्रभाव मन पर होता है, मन का प्रभाव तन पर होता है, तन और मन दोनों का प्रभाव सारे जीवन पर होता है। इसलिए हमेशा अच्छा सोचना चाहिए और हंसते-मुस्कराते रहना चाहिए। कोसने से कुछ हासिल नहीं हो पाता है, अंधेरे को अपने हिस्से का दीया खुद जलाना पड़ता है।