मनीष कुमार चौधरी
अगर हमारा मित्र या परिवार का सदस्य हमसे कोई मदद मांगता है, तो हम बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना किसी भी तरह से उसकी मदद करने की पूरी कोशिश करते हैं। मित्रता के मूल में यही है। एक-दूसरे के लिए मौजूद रहना और बदले में कोई लेन-देन की अपेक्षा न रखना। लेकिन गुजरते समय के साथ ये बंधन बहुत अधिक लेन-देन वाले होने लगे हैं। लोग एक-दूसरे को सच्चे संपर्क के रूप में कम और संसाधनों के रूप में अधिक देखते हैं।
महामारी के बाद से कई रिश्ते ऑनलाइन हो गये
दोस्ती और रिश्तों के प्रति अधिक व्यावसायिक दृष्टिकोण की ओर झुकता यह बदलाव स्वतंत्र या ऐच्छिक नहीं है। महामारी के बाद से कई रिश्ते मुख्य रूप से आनलाइन स्थानांतरित हो गए हैं। जब दोस्ती डिजिटल रूप से आगे बढ़ती है, तो हम कभी-कभी रिश्ते में संबंध और अंतरंगता की गहराई खो सकते हैं जो हमारे पास व्यक्तिगत रूप से हो सकती है। दोस्ती में सूक्ष्म समझ और प्राकृतिक संबंध की कमी हो सकती है। इन परिस्थितियों में लेन-देन शैली की दोस्ती अधिक आसानी से स्थापित हो जाती है। जब देना और लेना असंतुलित हो जाता है, तो एक दोस्त को ऐसा महसूस हो सकता है कि उसका उपयोग किया जा रहा है या कम से कम ऐसा महसूस हो सकता है जैसे कि वे दोस्ती में वापस पाने की तुलना में अधिक निवेश कर रहे हैं।
कुछ देने और लेने पर एक ‘रेखा’ खींचना खतरनाक है, क्योंकि इसे परिभाषित करना अक्सर कठिन होता है। रिश्ते भी उतने ही अलग होते हैं, जितने उनमें शामिल लोग होते हैं। दोस्ती में देना और लेना एक कठिन अवधारणा होती है। दोस्ती के लिए कौन ‘अधिक’ कर रहा है, इसका संतुलन आगे और पीछे होता रहेगा और समय के साथ काफी हद तक यह बराबर बात होनी चाहिए। लेकिन अल्पावधि में यह निर्धारित करना बेहद मुश्किल है कि कौन अधिक दे रहा है। हो सकता है कि एक मित्र कठिन समय से गुजर रहा हो।
ऐसे में दूसरे मित्र को समय-निर्धारण के मामले में लचीला होना चाहिए। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो रोजमर्रा के किसी भी कीमती सामान के लेन-देन से ऊपर है। दोस्ती में लोगों के बीच मतभेद होते हैं, वे प्यार और उपहार देते और लेते हैं, लेकिन ये भूलने के लिए हैं। महत्त्वपूर्ण यह हो जाता है कि कोई अपने दोस्त की सर्वोत्तम तरीके से कैसे मदद कर सकता है। इस दुनिया में कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता। हर चीज की एक कीमत होती है। अगर हम अच्छे दोस्त चाहते हैं, तो हमें अपने दोस्तों के लिए भी एक अच्छा दोस्त बनने के लिए तैयार रहना चाहिए।
हमारे साझा सांस्कृतिक मूल्य अक्सर मित्रता संचालित करने के तरीकों के केंद्र में होते हैं। सांस्कृतिक वातावरण व्यवहार के स्वरूप, दृष्टिकोण और मूल्यों जैसी चीजों को प्रभावित करते हैं। यहां तक कि हमारी व्यक्तिगत और सांप्रदायिक पहचान की भावना भी। जब संस्कृति तेजी से बदलती है, तो हमारी मित्रता भी अक्सर उसी के अनुसार बदल जाती है। इन दिनों हम सामुदायिक मानसिकता से दूर जाने लगे हैं।
स्वभाव से अति-व्यक्तिवादी होते जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप हमारे हर रिश्ते में लेन-देन का दृष्टिकोण घर करता जा रहा है। लेन-देन संबंधी मित्रता का बढ़ना हमारी संस्कृति के व्यक्तिवाद और निज स्वार्थ पर केंद्रित होने का लक्षण है। हम खुश, पूर्ण और सफल होना चाहते हैं, लेकिन व्यक्तिगत समय या ऊर्जा का त्याग किए बिना भी ये चीजें चाहते हैं। जबकि रिश्ते बनाने में आपसी सहयोग और प्रयास की आवश्यकता होती है। बहुत से लोग उन रिश्तों को चुनते हैं जो आसान और सुविधाजनक होते हैं।
अगर हमें लगता है कि हम मित्रता में अपने मित्र से अधिक निवेश कर रहे हैं, तो क्रोधित नहीं होना चाहिए। इसके बजाय उन चीजों के बारे में सोचने की जरूरत है, जो हमारा मित्र कर रहा होगा, जिन पर शायद हमने पहले ध्यान नहीं दिया था। पर याद रहे कि अगर हमारा कोई मित्र, जो बदले में कोई मदद किए बिना नियमित रूप से हमारी उदारता का लाभ उठाता है, तो यह पुनर्मूल्यांकन करने का समय है कि दोनों के बीच चीजें कैसी चल रही हैं।
दूसरी ओर, अगर हमारा कोई मित्र है, जिसे हम पसंद करना चाहते हैं सिर्फ इसलिए कि वे भविष्य में किसी बिंदु पर हमारी मदद करने में सक्षम हो सकते हैं, तो यह एक नकारात्मक लेन-देन वाली दोस्ती है। दोस्ती हमेशा उन लोगों के लिए मौजूद होनी चाहिए, जिनसे हम प्यार करते हैं, बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना। और ऐसी दुनिया में जहां हर कोई हमसे कुछ न कुछ चाहता है, ऐसी दोस्ती ढूंढ़ना जहां हमसे कभी कोई उम्मीद न की जाए, एक आशीर्वाद हो सकता है।
जब हम यह कहते हैं कि दुनिया बदल रही है, इसका मतलब है कि हमारे रिश्ते और हम उन्हें जैसे महत्त्व देते हैं, वह भी बदल रहा है। मित्रता इसलिए नहीं की जाती कि हमको बदले में मित्र से क्या मिलने वाला है, बल्कि सच्चे मित्र कभी अपने किए के बदले में कुछ अपेक्षा नहीं करते। व्यवहार में निष्कपटता और लेन-देन का अभाव ही वह गुण है, जो मित्रता और किसी रिश्ते को सही अर्थ और उम्र देते हैं।