जीवन कभी रिक्त नहीं हो सकता और हम आमतौर पर किसी न किसी समस्या से जूझते हैं। सवाल कौंधता है कि क्या जीवन समस्याएं लेकर आता है या उन्हें हम जन्म देते हैं या फिर हमें कोई समस्या सौंपता है। गहनता से पड़ताल हो तो यही पाएंगे कि हमारी अपरिपक्वता और अक्षमताएं ही विकट समस्याओं का रूप धारण करती हैं। हम कहीं न कहीं तन, मन और भावनात्मक स्तर पर अपूर्ण होते हैं। हमारा पूरा चिंतन-मनन बाहरी चीजों से जीवन की पूर्णता में तल्लीन रहता है और बहुधा समस्याएं अस्तित्वमान होकर हमें परेशान करने लगती हैं।
मुसीबतें रुई से भरे थैले की तरह हैं। देखते रहेंगे तो भारी दिखेगी और उठा लेंगे तो एकदम हल्की हो जाएंगी। समस्या देखकर जीवन में कभी हार नहीं मानना चाहिए। क्या पता समस्या के अंदर कोई बड़ी शुरुआत छिपी हो। समस्या से भागना समस्या का प्रारंभ है और समस्या का सामना करना समस्या के अंत का प्रारंभ है।
विपत्ति से बढ़कर तजुर्बा सिखाने वाला दूसरा कोई विद्यालय नहीं। मात्र शिकायत करके समस्याओं से बचा नहीं जा सकता, जिम्मेदारी उठाकर उसे कम जरूर कर सकते हैं। गृहस्थ जीवन में पति अपनी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों का सेतु है। अगर उसने यह जिम्मेदारी परिपक्वता और संतुलन से नहीं निभाई तो संकट आने में देर नहीं लगेगी।
समस्याएं यातायात की लालबत्ती की तरह होती हैं। बत्ती हरी हो तो हमारी गाड़ी आगे बढ़ती है। उसी प्रकार धैर्य रखकर प्रयास करना चाहिए, क्योंकि संकट के समय धैर्य धारण करना आधी लड़ाई जीतने के समान है। मुसीबत कुछ भी हो, उसका सामना करना चाहिए। विपत्ति के समय ये सात गुण बचाते हैं- ज्ञान, विनम्रता, बुद्धि, भीतर का साहस, अच्छे कर्म, सच बोलने की आदत और ईश्वर में विश्वास।
समस्याएं छोटी-मोटी बीमारी की तरह होती हैं, जो आईं और उनका इलाज हुआ और चली गईं। वे परिपक्व करने के लिए भी आती हैं, ताकि बड़ी समस्याओं का समाधान ताकत और धीरज के साथ कर सकें। कुछ समस्याएं लाइलाज होती हैं, पर सूझ-बूझ से उनको पूरी तरह हल न भी कर सकें तो उनकी धार को कम तो किया ही जा सकता है। बहुत-सी समस्याएं हमारे बोलने के सलीके की पैदाइश हैं। समस्याएं सदा नहीं रहतीं, लेकिन वे हमारे अनुभव की किताब पर हस्ताक्षर करके चली जाती हैं। समस्याओं का अपना कोई आकार नहीं होता। वे हल करने की क्षमता के आधार पर छोटी और बड़ी हो जाती हैं।
जैसे बिना चाबी का कोई ताला नहीं बनता, उसी प्रकार बिना समाधान के समस्या नहीं होती। बस धीरज धरकर उसका समाधान करने की जरूरत होती है। जीवन में तीन लोगों को कभी नहीं भूलना चाहिए। मुसीबत में साथ देने वाले को, मुसीबत में साथ छोड़ने वाले को और मुसीबत में डालने वाले को। जीवन में समस्याओं से मिलने वाली सीख को नहीं भूलना चाहिए। समस्या का समाधान करें या समस्या को छोड़ दें, लेकिन समस्या के साथ न जिएं।
हम अपनी समस्याओं को उस सोच के साथ नहीं सुलझा सकते, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया है। जब जल गंदा हो तो उसे हिलाते नहीं, बल्कि शांत छोड़ देते हैं, जिससे गंदगी अपने-आप नीचे बैठ जाती है। परेशानी आने पर बेचैन होने के बजाय शांत रहकर विचार करने पर हल जरूर निकलेगा। आपत्ति हमें आत्म-ज्ञान कराती है और यह दिखाती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं। मुसीबतों से घबराना काम बिगाड़ने जैसा है। संकट में ही मनुष्य की परीक्षा होती है। जो हमारे पद, प्रतिष्ठा और पैसे से जुड़े हैं, वे केवल सुख में हमारे साथ खड़े रहेंगे। यकीनन विपत्ति में साथ बिरला ही कोई देता है।
पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं, जिसको समस्या न हो और कोई समस्या ऐसी नहीं, जिसका समाधान न हो। समस्या के बारे में सोचने से बहाने मिलते हैं और समाधान के बारे में सोचने पर रास्ते मिलते हैं। समस्या में खोए रहने के बजाय सकारात्मक सोचने और समाधान पर ध्यान देने की जरूरत है। कठिन परिस्थितियों से डरने के बजाय धैर्य से उसका सामना करना चाहिए।
घबराने से स्थिति बिगड़ सकती है, जबकि शांत रहने से समस्या का हल निकलता है। हमारी समस्याओं का आकार उतना बड़ा नहीं होता, जितना उनको हल करने की क्षमता। हम समस्याओं को अपनी योग्यता के मुकाबले ज्यादा आंकते हैं। समस्याओं का अपना कोई आकार नहीं होता। वे हमारी हल करने की क्षमता के आधार पर छोटी और बड़ी होती हैं।
जब दिमाग कमजोर होता है, परिस्थितियां समस्या बन जाती हैं। जब दिमाग स्थिर होता है, तब परिस्थितियां चुनौती बन जाती हैं। लेकिन जब दिमाग मजबूत होता है, तब परिस्थितियां अवसर बन जाती हैं। संघर्ष के मार्ग पर जो वीर चलता है, वही संसार को बदलता है। जवानी में हम मुसीबतों के पीछे भागते हैं और बुढ़ापे में मुसीबतें हमारे पीछे भागती हैं।
किसी ने ठीक ही कहा है कि क्रोध के समय थोड़ा रुक जाएं और गलती के समय थोड़ा झुक जाएंगे तो दुनिया की काफी समस्याएं हल हो जाएंगी। समस्याएं और कठिन परिस्थितियां वाशिंग मशीन की तरह हैं, जो रगड़ती हैं, झिंझोड़ती हैं, घुमाती हैं और निचोड़ती हैं। समस्याएं इतनी ताकतवर नहीं हो सकती, जितना हम इन्हें मान लेते हैं। कभी सुना है कि अंधेरों ने सुबह ही न होने दी हो? हर परिस्थिति में उम्मीद का दामन थामे रहना चाहिए। युग-युगांतर से जिंदगी ही समस्या है और जिंदगी ही निदान है। अगर मजबूत रहना है तो आपात स्थिति में हमें डावांडोल नहीं होना चाहिए।