ओजस की जासूसी के किस्से बड़े मशहूर थे। वह था तो अभी बच्चा ही, लेकिन उसने बड़े-बड़े अपराधियों को मात दे दी थी। पिथौरागढ़ जिले की पुलिस भी जासूस ओजस से समय-समय पर सहयोग मांगती रहती थी। पिछले कुछ दिनों से शहर में नशे की वारदातें सिरदर्द बनी हुई थीं।छोटे बच्चे और युवा नशे की गिरफ्त में आ चुके थे। यह मामला पुलिस के लिए चुनौती बन चुका था।

रविवार का दिन था। ओजस घर में बैठा टीवी देख रहा था। उसे फोन की घंटी सुनाई दी। उसने फोन उठाया। ‘मैं एसपी मलय बोल रहा हूं। ओजस, हमें तुम्हारी मदद की जरूरत है। शहर में नशे का कारोबार बहुत बढ़ चुका है। अपराधी बड़े शातिर हैं। पकड़ में नहीं आ रहे हैं। हमें मिलकर कुछ करना होगा। इनका पकड़ा जाना जरूरी है।’ एसपी मलय ने कहा।  
 
ओजस अब पूरे मामले को समझने की कोशिश करने लगा। उसने अपने मोहल्ले के लड़कों के बारे में और उनकी दिनचर्या को भी समझने की कोशिश की। खासकर, उन लड़कों की जो नशा करते हैं। अगले दिन ओजस जब स्कूल गया तो हर चीज पर बड़ी बारीकी से नजर रख रहा था। स्कूल बस से उतरते ही उसे एक अजीब चीज महसूस हुई। स्कूल गेट से कुछ दूरी पर एक खोखा था, जहां पर चाय बनती थी। साथ ही खोखे पर नमकीन, बिस्कुट, तंबाकू आदि भी बिकते थे।

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ओजस ने देखा कि वहां पर एक लड़का कुछ खरीद कर जेब में डाल रहा था। दुकानदार और वह लड़का दोनों ही जल्दबाजी में दिख रहे थे। फिर वह लड़का वहां से चला गया था।

स्कूल में आज दो बच्चों को सजा मिली थी। वे दोनों लड़के पिछले दिनों नशा करते हुए पकड़े गए थे। ओजस समझ नहीं पा रहा था, आखिर ये सब हो कैसे रहा है। ऐसा लगता है, स्कूल के आस-पास ही नशे का कारोबार चल रहा है। भोजनावकाश में ओजस शौचालय जा रहा था। उसने वहां दो बच्चों को बात करते हुए सुना, ‘तुम्हें पता है। शहर के पास वाली ऊंची पहाड़ी पर खजाना है।’ ‘तुम्हें कैसे पता।’, दूसरे ने कहा। ‘आजकल सारा सोना वहीं से आ रहा है।’ पहले ने उत्तर दिया। फिर दोनों हंसने लगे। 

ओजस को उन दोनों की बातों से संदेह हुआ। ये दो लड़के, उन दो लड़कों के पक्के दोस्त थे, जिन्हें सजा मिली थी। दोनों लड़कों की नजर ओजस पर पड़ी तो वे वहां से चले गए। अगली घंटी के लिए अभी कुछ समय बचा था। ओजस नमकीन लेने के लिए स्कूल गेट के उस खोखे के पास गया। उसने नमकीन खरीदी। वहां उसने एक लंबे-चौड़े रौबदार आदमी को बात करते सुना, ‘इस बार कोई कमी नहीं रहेगी। पहाड़ी वाला खजाना भरा पड़ा है।’

दूसरा आदमी बोला, ‘ये वही पहाड़ी है, ना जो शहर के पास है। जिसके पास एक स्कूल भी है।’ ‘हां..वही यार। अब ज्यादा ना पूछो। दीवारों के भी कान होते हैं।’ वो तगड़ा आदमी बोला। ‘ए लड़के…क्या सुन रहा है।’ खोखे वाला ओजस से बोला। ‘कुछ भी तो नहीं’, ये कहते हुए ओजस स्कूल के अंदर चला गया था।

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ओजस समझ चुका था कि सारा खेल पहाड़ी से चल रहा है। जरूर वहां कुछ न कुछ ऐसा है, जो नशे के कारोबार को बढ़ावा दे रहा था। इसके बाद ओजस अपनी कक्षा में चला गया। अगले दिन स्कूल की छुट्टी थी। ओजस ने आज शहर से लगी पहाड़ी पर जाने का निर्णय लिया। लेकिन, वहां जाना जान को जोखिम में डालने जैसा था। ओजस ने एसपी सर को फोन लगाया और कहा, ‘एक सुराग हाथ लगा है। मैं आज शहर से लगी पहाड़ी में जा रहा हूं। आप कुछ जवानों को भेज दीजिए।’ एसपी सर ने उसकी योजना समझ कर पूरा इंतजाम कर दिया।

ओजस पहाड़ी पर जाने की तैयारी करने लगा। उसने हमेशा की तरह गुलेल और सीटी अपने पास रखी। धीरे-धीरे वो पहाड़ी की ओर बढ़ा। कुछ दूरी पर सादे कपड़ों में पुलिस के जवान भी थे। रास्ते में ओजस को कई नौजवान लड़के-लड़कियां नशे में धुत मिले। वो जैसे-जैसे आगे बढ़ा, घनी झाड़ियां मिलती गईं। झाड़ियों के पीछे एक पुराना जर्जर मकान था। उसके अंदर कुछ लोग थे। उस पुराने मकान में तीन-चार कमरे थे। ओजस ने कुछ आवाजें सुनी। वह एक किनारे में छिप गया। वहां कुछ लोग बातें कर रहे थे, ‘हमारा धंधा बहुत अच्छा चल रहा है। हमारे इस गोदाम के बारे में किसी को खबर नहीं है। यहां कोई पहुंच भी नहीं सकता।’ 

अचानक ओजस का पैर फिसल कर, शराब की खाली बोतल पर पड़ा। गोदाम के अंदर के लोगों ने इस आवाज को सुन लिया। वे सब बाहर आ गए। उन्होंने इधर-उधर देखा। एक की नजर ओजस पर पड़ी। उसके हाथ में बंदूक थी। उसने ओजस पर गोली चलाने का प्रयास किया। वो कुछ कर पाता इससे पहले ओजस ने अपनी गुलेल से उसके हाथ में दे मारा, जिससे बंदूक नीचे गिर गई।

इसके बाद ओजस ने जोर से सीटी बजाई। सीटी की आवाज सुनते ही पुलिस के जवान अपनी पिस्तौल के साथ अंदर पहुंच गए। ओजस और अन्य जवान अंदर गए। वहां नशे का सामन बिखरा पड़ा था। सभी अपराधियों को पकड़ कर जेल में डाला दिया गया। उनसे पूछने पर पता चला कि वे कालेज और स्कूल के बच्चों को नशे का सामान उपलब्ध कराते थे। इसके बाद पुलिस ने उन खोखे वालों पर भी कार्रवाई की जो नशे का कारोबार करते थे। पुलिस विभाग ने ओजस को सम्मानित किया।