पिछले दिनों इंद्रधनुष 13 वार्षिक उत्सव का आयोजन आजाद भवन के सभागार में किया गया। इसमें ओडिशी नृत्यांगना अल्पना नायक के सामान्य शिष्य-शिष्याओं के साथ विशेष शिष्य-शिष्याओं ने नृत्य पेश किया। आयोजन दर्शकों को यह संदेश देने में सफल रहा कि ये विशेष बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह हैं। अगर, उन्हें प्रशिक्षण और अवसर मिलेंगे तो वह हुनरमंद हो सकते हैं। इन बच्चों को भी मुख्य धारा के साथ सहजता से जोड़ा जा सकता है।
समारोह का आगाज मंगलाचरण से हुआ। मंगलाचरण भगवान गणेश को निवेदित था। यह श्लोक ‘नमामि विघ्न राज त्वम’ पर आधारित थी। विशेष बच्चों ने बटु नृत्य प्रस्तुत किया। ओडिशी की शुद्ध नृत्य प्रस्तुति में पद, हस्त व अंग संचालन पेश किया गया। साथ ही, विभिन्न त्रिभंग भंगिमाओं और करणों के प्रयोग से नृत्य को सुसज्जित किया गया। गीत ‘नगाड़ा संग ढोल बाजे’ पर इन बच्चों ने नृत्य पेश किया। मोहना पल्लवी अगली पेशकश थी। यह राग मोहना और एक ताली में निबद्ध थी। इस सामूहिक नृत्य में अल्पना के शिष्य-शिष्याओं ने लयात्मक पद व अंग संचालन पेश किया। उनका आपसी तालमेल व संतुलन सामान्य था।
कवि जयदेव की कृति ‘गीत-गोविंद’ में राधा-कृष्ण के प्रणय व भाव का सुंदर विवेचन है। इस ग्रंथ में कवि जयदेव ने भगवान विष्णु के दशावतार-मीन, कच्छप, शूकर, नरहरि, वामन, भृगुपति, रघुपति, हलधर, बुद्ध और कल्कि का वर्णन किया है। इस रचना पर आधारित अगली प्रस्तुति दशावतार थी। ओडिशी नृत्य प्रस्तुति की शृंखला में दशावतार महत्त्वपूर्ण प्रस्तुति है। यह प्रचलित नृत्य होते हुए भी भावना प्रधान प्रतीत होती है। क्योंकि, इसमें कलाकार आंगिक चेष्टाओं के साथ मुख, आंखों, भंगिमाओं से भावों को अभिव्यक्ति देते हैं। शिष्य-शिष्याओं की यह प्रस्तुति मोहक थी।
इस बार इस समारोह में नृत्य रचना ‘शून्य से शून्य तक’ पेश की गई। यह पंच महाभूत-आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी पर आधारित थी। जीवन के आधार पंच तत्व पांच इंद्रियों और क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। यह जीवन को पालित-पोषित करते हैं और उसे पूर्णता प्रदान करते हैं। जैसे-आकाश से शब्द या ध्वनि कान तक पहुंचती है। वायु-स्पर्श यानि त्वचा से संबंधित है। वहीं, अग्नि रूप का प्रतीक है, जो आंखों से जुड़ा हुआ है। नृत्य के इन भावों की परिकल्पना नृत्यांगना अल्पना नायक ने बखूबी किया। समारोह में कुछ बच्चों ने गणेश वंदना, राग भैरवी में बंदिश व ठुमरी और राजस्थानी लोकगीत को सुरों में पिरोया।

