साहित्य का अंतरराष्ट्रीय उत्सव उन्मेष एशिया का सबसे बड़ा आयोजन है। यह आयोजन गुरुवार से भोपाल में शुरू हो गया है, जो 6 अगस्त तक चलेगा। पिछले साल यह आयोजन शिमला में जून में हुआ था, जबकि इस बार इस कार्यक्रम के लिए मध्य प्रदेश को चुना गया है। इस आयोजन में लगभग 100 भाषाओं के 575 से अधिक लेखक 75 से अधिक कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। भारत के लेखकों के अलावा 13 अन्य देशों के प्रतिभागी भी उपस्थित रहेंगे। इसका उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को किया।

संगीत नाटक अकादमी कर रहा इसका आयोजन

आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और मध्य प्रदेश का संस्कृति विभाग लोक और आदिवासी प्रदर्शन कला के राष्ट्रीय उत्सव ‘उत्कर्ष’ के साथ मिलकर यह अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव हो रहा है। इसका आयोजन संगीत नाटक अकादमी द्वारा किया जा रहा है।

लेह एवं लद्दाख का जबरो नृत्य, नगालैंड का सुमी वार से मोहेंगे आर्टिस्ट

इसमें लेह एवं लद्दाख का जबरो नृत्य, नगालैंड का सुमी वार, सिक्किम का सिंधी छम, मध्यप्रदेश का राई एवं नरेरी, मेघालय का बांग्ला, महाराष्ट्र का लावणी, असम का बीहू, ओड़ीशा का सिंगारी, झारखंड का पाईका और आंध्र प्रदेश के टप्पेटा गुल्लू नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। भारतीय साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव ने बताया कि उन्मेष उत्सव एशिया का सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मेलन है।

इसमें बहुभाषी कविता पाठ, लेखन पाठ, आदिवासी कवि सम्मेलन, साहित्य के विषयों पर परिचर्चा, आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता पाठ और साहित्य के उत्थान संबंधी विभिन्न विषयों पर प्रबुद्धजन द्वारा विमर्श किया जा रहा है। ‘उत्कर्ष’ उत्सव में देश के 36 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के लगभग 800 कलाकार लोक एवं जनजातीय प्रदर्शन कलाओं की सतरंगी छटा बिखेरेंगे।

गुरुवार, 3 अगस्त को भोपाल के रवींद्र भवन में अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘उन्मेष’ और लोक और जनजातीय प्रदर्शन कला के महोत्सव ‘उत्कर्ष’ के उद्घाटन के दौरान मौजूद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (पीटीआई फोटो)

उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि तमाम चुनौतियों का सामना कर रही इस दुनिया में हमें विभिन्न संस्कृतियों एवं मान्यताओं के लोगों के बीच और अधिक समझ बनाने के लिए कारगर तरीके खोजने चाहिए। राष्ट्रपति ने भोपाल में चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का उद्घाटन करने के बाद वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही।

इस साहित्य उत्सव के साथ ही मुर्मू ने संगीत नाटक अकादमी द्वारा लोक एवं जनजातीय प्रदर्शनकारी कलाओं के तीन दिवसीय राष्ट्रीय उत्सव ‘उत्कर्ष’ का भी उद्घाटन किया। जीवन में साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्यकार का सत्य इतिहासकारों के तथ्य से अधिक प्रामाणिक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास विश्व के महान साहित्य में ही मिलता है। उन्होंने कहा कि साहित्य ने मानवता को आईना भी दिखाया है, बचाया भी है और आगे भी बढ़ाया है।

उन्होंने कहा कि साहित्य एवं कला ने संवेदनशीलता एवं करूणा को बनाये रखा है, यानी मनुष्य की मनुष्यता को बचाए रखा है। मुर्मू ने कहा, ‘‘विश्व आज गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। विभिन्न संस्कृतियों में समन्वय और आपसी समझ विकसित करने में साहित्य और कला का महत्वपूर्ण योगदान है।’’

मुर्मू ने कहा,‘‘140 करोड़ देशवासियों की भाषाएँ और बोलियाँ मेरी हैं। विभिन्न भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद भारतीय साहित्य को और समृद्ध करेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वधीनता और पुनर्जागरण के आदर्शों को साहित्यकारों ने बखूबी अभिव्यक्त किया। उस समय का साहित्य देशभक्ति की भावना की अमर अभिव्यक्ति है। उस समय के साहित्य ने मातृभूमि को देवत्व प्रदान किया। भारत का हर पत्थर शालिगराम बना।’’