कोई एक सवाल करे और सामने से उसका जवाब आ जाए, यह एक आदर्श स्थिति है। यह भी हो सकता है कि सवाल किया जाए और जवाब न आए। कई बार जवाब का न आना भी सवाल का जवाब हो जाता है। अक्सर अंधेरी या असुरक्षित जगहों पर प्रवेश के पूर्व लोग सवाल करते हैं कि कोई है यहां, और वहां से कोई जवाब नहीं आता। तब जवाब के न आने को ही जवाब मानकर आश्वस्त हो लिया जाता है। अगर कहीं किसी युगल के बीच वार्तालाप हो रहा हो, तो कुछ ऐसा होता देखा जा सकता है। मसलन, युवक का सवाल होगा- ‘क्या तुम भी मुझे पसंद करती हो,’ तो जवाब में युवती की ओर से मौन आएगा और इसी मौन को युवक के द्वारा सहमति या असहमतिपूर्ण जवाब मान लिया जाता है। जवाब की अनुपस्थिति ही जवाब बन जाती है।
एक स्थिति यह हो सकती है कि कोई एक सवाल करे और उसके अनेक जवाब मिलें। भीड़ में पूछे गए एक सवाल के अनेक जवाब आने की संभावना रहती है। हो सकता है, सभी जवाब गलत हों। यह भी हो सकता है कि सभी जवाब सही हों। अधिकतर संभावना यह रहती है कि कुछ जवाब सही और कुछ गलत हों। तब सही जवाब को खोजना पड़ता है। अमूमन विशेष स्थिति को छोड़ दिया जाए तो एक सवाल का सही जवाब एक ही होता है। अनेक सवालों का भी एक जवाब हो सकता है, लेकिन एक मुद्दे पर सवाल एक हो या अनेक, जवाब अनेक कतई नहीं होते। हर हाल में जवाब एक ही होता है। यह बात जरा अटपटी जान पड़ती है, लेकिन बात तर्कपूर्ण है।
दरअसल, दुनिया में हर सवाल का जवाब होता है, क्योंकि जवाब पहले से ही अस्तित्व में मौजूद है। उससे जुड़े सवाल बाद में खड़े किए जाते हैं। ठीक वैसे ही जैसे कि मेरा नाम ‘मैं’ हो और कोई मुझसे सवाल पूछे कि ‘आपका नाम क्या है?’ वैज्ञानिक खोज के मामलों में कहा जाता है कि ऐसे अनेक सवाल हैं, जिनका जवाब अभी तक नहीं खोजा जा सका है, जबकि जवाब पूर्व से ही स्थित हैं। सारे सवाल वैज्ञानिक सोच ने खड़े किए हैं। पुरानी फिल्म ‘बहू बेगम’ का एक बड़ा खूबसूरत गीत है- ‘दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें, तुमको न हो खयाल तो हम क्या जवाब दें।’ इस गीत में नायिका की कठिनाई जवाब देने की है। दुनिया वालों के द्वारा जो सवाल उठाए गए हैं, वे सभी अपने अनुसार जवाब चाहते हैं, जबकि नायिका के पास जवाब एक ही है। उसे धर्म, संस्कृति, समाज, व्यक्ति, जाति, देश या परिवेश के अनुसार बदल-बदल कर प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। उसकी कठिनाई यहीं पर है, वरना जवाब तो सदैव शाश्वत होता है।
कोई भी जवाब अपने आप में सच
कोई भी जवाब अपने आप में केवल सच होता है और कुछ नहीं। जो सच है, वही सही जवाब होता है। सच मिलावटी नहीं होता, एकदम खरा होता है, खरे सोने की तरह। सांच को आंच नहीं की तरह। कभी किसी सवाल के जवाब की खोज में उतरें तो जानेंगे कि विकल्प अनेक हैं। ये विकल्प सच के करीब हो सकते हैं, लेकिन पूर्ण सच नहीं। अनेक विकल्प बिल्कुल सही जवाब की तरह भी लग सकते हैं। ये जिज्ञासु में सही जवाब के जैसे लगने का भ्रम भी पैदा कर सकते हैं, लेकिन जवाब एक ही होता है। व्यावसायिक परीक्षाओं में ऐसे सवाल पूछे जाते हैं, जिनमें विकल्प स्वरूप चार जवाब दिए जाते हैं। इनमें से सही विकल्प को चुनना पड़ता है। किसी किसी सवाल के चार विकल्पों में से एक विकल्प, अन्य दो या तीन विकल्पों को सही जवाब ठहराता है। इस स्थिति में ये दो या तीन विकल्प सच को दो या तीन भागों में प्रस्तुत करता है। इसलिए दोनों या फिर तीनों जवाबी विकल्प सही होते हैं।
सवाल और जवाब एक साथ
सवाल के जवाब के साथ एक बड़ी विडंबना भी है। कई बार सवाल और जवाब एक साथ पैदा होते हैं। आदमी के दिमाग में उपजा सवाल, उसके साथ जन्मे जवाब को साथ लेकर चलता है। वह उम्मीद करता है कि जब वह सवाल उठाए तो वही जवाब सामने से चलकर प्रस्तुत हो जो उसने सोच रखा है। अगर ऐसा नहीं होता है तब उसके जवाब से जुदा जवाब जो कि सच है, वह उसे भी स्वीकार नहीं करता। चालाक, धूर्त और अहंकारी व्यक्ति अक्सर ऐसा करते हैं। उन्हें अपने मन माफिक जवाब से चैन पड़ता है। अपना स्वार्थ साधने वाले अनेक चालाक मानसिकता के लोग उस व्यक्ति के मन माफिक जवाब के साथ उपस्थित हो जाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हुए लाभार्जन करते रहते हैं।
सवालों के गोल-मोल जवाब भी हुआ करते हैं। शैतान बच्चे अनजाने में गोल-मोल जवाब दे देते हैं। गोल-मोल जवाब अनेक गलत जवाबों में लिपटा सही जवाब होता है। यह सवाल करने वाले और गोल-मोल जवाब देने वाले के बीच का मामला होता है। सही जवाब को चालाकी से निकलकर, समझदारी से होकर गुजरना पड़ता है। चालाकी और समझदारी में चतुराई की अहम भूमिका होती है। अगर चतुराई चालाकी के साथ हो ले, तो जवाबों को गोल-मोल किया जा सकता है और समझदारी में चतुराई जुड़ जाने से सही जवाब की पहचान निर्धारित की जा सकती है।
गीत के माध्यम से सवाल
एक और पुराना मशहूर फिल्मी गीत है- ‘एक सवाल मैं करूं, एक सवाल तुम करो, हर सवाल का सवाल ही जवाब हो।’ यह गीत पहेली दर पहेली पूछते जाने पर आधारित है। हालांकि, रोजमर्रा के जीवन में अनेक बार ऐसा होता है, जब किए गए सवाल का जवाब भी कोई दूसरा सवाल होता है! पति के घर में प्रवेश करते ही पत्नी सवाल करती है- ‘बड़ी देर लगा दी आने में?’ पति जवाब देने की बजाय उलटा सवाल कर देता है- ‘तुम्हें घर से कब निकलना था?’ इसलिए पहले अपने जवाब को विवेक की कसौटी पर तौलना चाहिए और फिर कुछ कहा जा सकता है, अन्यथा विवाद तय है!