इन दिनों जब पूरी दुनिया युद्ध की दहशत से अभिशप्त दिखती है तो फिर अमन की तलाश में कौन से रास्ते तलाश किए जाएं, ताकि मानव जीवन सुरक्षित रह सके? असल में यही है जिंदगी के लिए शांति की अंतर्दृष्टि का वह आयाम जो जिंदगी को संतुष्टि के साथ शांति के मार्ग पर चलते हुए नई अंतर्दृष्टियों के नए इंद्रधनुषों को खोलता है। शांति की अंतर्दृष्टि का सीधा अर्थ है जीवन में शांति की गहराई को समझना और जीने के नेतृत्व तथा प्रभावों को जानना। मगर यह उन स्थितियों पर निर्भर करता है कि जिस समाज में हम जी रहे हैं, उसमें सामाजिक आर्थिक और मानव प्रकृतियों की प्रक्रिया कैसी है।

वर्तमान समय में जिस तरह आज नई तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी के चलते हर तरह की कृत्रिम बुद्धिमत्ता का वातावरण आदमी को चौबीस घंटों नियंत्रित करने लगा है, उसके लिए यह अति आवश्यक हो गया है कि आज हम अपनी जिंदगी यानी अपनी सांसों को अपने दिल और अपने मन मस्तिष्क को थोड़ा ठहराव प्रदान करने और शोर के इस माहौल को रोकने के लिए शांति की तलाश के वे तरीके तलाशें, जहां शांति का उपवन हो, जिंदगी का शांतिपूर्ण माहौल हो। यह सच है कि आज हमारे जीने के क्रम और जीवन का रास्ता बिखर गया है। इन दिनों हमारी शांति की दुआओं के मद्देनजर बदलती हुई दुनिया और जिंदगी की अंतर्दृष्टि के कई विभिन्न पहलू हो सकते हैं और मन की शांति हमारे तनाव को कम कर सकती है।

भारतीय संस्कृति की ध्यान प्रेक्षा में जीवन में प्राथमिक आवश्यकता आत्मचिंतन अंतर्दृष्टि को ही बताया गया है, लेकिन सामाजिक और आत्मिक शांति इन दिनों जिस तरह से बदल रही दुनिया में एक नई दुनिया का नया स्वरूप अब हमारे सामने परिलक्षित है, वहां पर अंतरराष्ट्रीय शांति के संघर्ष और जड़ों के बजाय जिंदगी को बचाने का प्रयास कहां किया जाए। यह भी सच है कि इन दिनों विश्व में हमने जिस तरह से जंगल, जल और वायु को प्रदूषित किया है, वह आने वाले वर्षों में हमारे उस प्रश्न पर झगड़ों का कारण बनेगा। इसमें असली लड़ाई अब सांसों के लिए वायु प्राण की शांति में जीने की लालसा में होगी। जल की बूंद-बूंद के लिए लड़ाई के मुहाने पर पहुंचा हुआ विश्व शांति और युद्ध के बीच क्या चुनना चाहता है?

अकेलापन नहीं, एकांत चुनिए — स्वयं से जुड़ने, सोचने और कुछ नया रचने का यही होता है उपयुक्त अवसर

दरअसल, जिस दुनिया में हम जी रहे हैं, वह जटिल, विरोधाभासी और परस्पर छोटे युद्ध तथा नफरती बयार से भर गई है। यह तब हो रहा है, जब पूरी दुनिया ज्ञान के नए आकाश को छू रही है। इस आसमान में आदमी प्रकृति तथा ब्रह्मांड के भेद को तो भेदना तो चाह रहा है, पर उसने अपनी भंग शांति में सब कुछ खो दिया है। संघर्षों के कर्म को समझना जीने के नए रास्तों को तय करने और ध्यान, योग की प्रवीण प्रवृत्तियों को सहज पूर्णता के कारण एक नई संस्कृतियों के दौर को स्वीकार करने, सम्मान करने तथा शांति से जीने की एक परंपरा हमारे समाज में है। यही समाज की खूबसूरती है, जिसमें विभिन्न समुदायों और विभिन्न रंग-रूप तथा भाषाओं के रंग-बिरंगे संजाल में लोग सदियों से रह रहे हैं।

यह अलग बात है कि गुलामी का भाव अपने जीने के अस्तित्व और युद्ध के दर्शन ने हमेशा इस धरती पर शांति को तार-तार किया है, लेकिन भारतीय जनमानस में करुणा, सहानुभूति, आत्म जागरूकता, विचारों तथा भावनाओं को ध्यान के जरिए नियंत्रित करना दरअसल शांति के लिए आत्म चिंतन की दूरदृष्टि है। इसको समझने की आज जितनी आवश्यकता है और शांति की प्रासंगिकता के अर्थ जितने प्रासंगिक आज हैं, उतने पहले कभी भी नहीं हुए थे।

छोटी बातों से उपजे बड़े फासले, मन के भीतर घुटती रह जाती हैं भावनाएं; हम क्यों नहीं कर पाते पहल?

असल में अपने विचारों को खुले से प्रस्तुत कर रहे संवाद पर शांतिपूर्ण तरीके से आत्म चिंतन करना इस दुनिया को तथा बदलते समाज को नई संभावनाओं से भर सकता है। शांति की गहराई में अंतर्दृष्टि की एक बहुआयामी अवधारणा व्यक्ति समाज और दुनिया के लिए इन दिनों अति महत्त्वपूर्ण है। यही एक ऐसा रास्ता है जो आत्मचिंतन को स्थिर करते हुए नए जीवन की अंतर्दृष्टियों के साथ चलते हुए हमें एक बेहतर कल की पीढ़ी के लिए एक सुंदर दुनिया की रूपरेखा तथा नई संरचना की ओर ले जा सकता है।

हमारे यहां सभी धर्मों-परंपराओं में शांति का बखान है और सभी के लिए एक अरदास की आत्म दृष्टि और सकारात्मक जीने का खुला हुआ रास्ता है। एक ऐसा भाईचारा और ऐसी परिकल्पना का ‘जोग-संजोग’ का शांति-समय है, लेकिन यह भी सच है कि इस अंतर्दृष्टि में शांति पाने के जितने तरीके हमारे इतिहास और शास्त्रों में दर्शाए गए हैं, उनमें मन को संभालने के सवालों को ध्यान में सुलझा दिया गया है।

इन दिनों दुनिया में जो कुछ हो रहा है, वह अंतर्मुखी होकर अपने अहंकार से मुक्त आदमी को इस तेज भागते हुए विश्व की नई परिकल्पना में शांति की गुंजाइश से भर सकता है। यही जीवन जीने की एक नई दिशा का रास्ता है। आज दुनिया विरोधाभास, नए उपभोक्तावाद और आभासी दुनिया की नई परिकल्पना से नहीं, उसके डरावने यथार्थ से जूझ रही है।

मन-मस्तिष्क की शांति और आत्मचिंतन की अंतर्दृष्टि ही इससे बचाव का रास्ता है जो हमें शांति समृद्धि और उस सुख की ओर ले जा सकता है, जिसमें जीवन की खोज में जिंदगी बची रहे। यही सवाल आज सबसे बड़ा है, जिसके लिए यह कोशिशें पूरी दुनिया में हो रही हैं, ताकि जिंदगी को युद्ध की तबाही से बचाया जा सके और आत्मचिंतन की शांति की अंतर्दृष्टि से आने वाली नस्लों के लिए इस रंग-बिरंगे विश्व को सुरक्षित रखा जा सके।