Indian culture, youth mindset, tradition vs modernity, western influence
दुनिया मेरे आगे: क्या मॉडर्न बनने के लिए परंपराओं से बगावत जरूरी है? जड़ें सूखी तो हरी-भरी टहनियां भी नहीं बचेंगी

संयुक्त परिवारों की वे जड़ें, जिनमें परिवार रूपी वट वृक्ष सांस लेता था, अब ‘फ्लैट संस्कृति’ में गमले के पौधे…

Why shoes are not allowed in Hindu temples
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मंदिर में नंगे पांव क्यों जाते हैं? जानिए इसके पीछे छिपे आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक रहस्य

जब भी हम मंदिर जाते हैं, तो पहला कार्य जो हम स्वाभाविक रूप से करते हैं – वह है अपने…

Traditional Indian Sweets That Are Fading Away
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कभी हर त्योहार की शान थीं ये 8 मिठाइयां, अब होती जा रही है गुमनाम

Forgotten Indian Sweets: भारत की समृद्ध मिठाई संस्कृति में कुछ ऐसी खास मिठाइयां हैं, जो कभी त्योहारों और खास मौकों…

जनसत्ता- ब्लॉग
Blog: वाणी की मर्यादा का उल्लंघन होता है एक जघन्य अपराध, भारत में शुभ अवसरों पर गालियां गाए जाने की समृद्ध परंपरा

दुर्भाग्य यह है कि हमारे दौर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर लगातार वाणी की मर्यादा का उल्लंघन हो…

African indigenous tribes and rituals
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पूरी जिंदगी में सिर्फ 1 बार नहाती हैं इस जनजाति की महिलाएं, फिर भी मानी जाती हैं सबसे खूबसूरत

Himba Tribe: नहाना एक सामान्य दिनचर्या है जिसे हम में से अधिकांश लोग रोज करते हैं, लेकिन दुनिया में कुछ…

Jansatta Dunia Mere Aage, jansatta Epaper
दुनिया मेरे आगे: बिखरता चूल्हा, सिमटता आंगन, खत्म हो रही परिवारिक परंपराएं और ग्रामीण संस्कृति

परिवार के सिमटते आंगन का एक मुख्य कारण आर्थिक तनाव भी है, क्योंकि महंगाई की मार के बावजूद आवश्यकता की…

Old Prayagraj memories, Allahabad Memories, Famous sweets Prayagraj, Prayagraj wrestling tradition, Nadir Pahalwan akhada
Know Your City: चौधरी महादेव प्रसाद की मिठाइयां और नादिर पहलवान का अखाड़ा, कहां खो गए प्रयागराज के वो सुनहरे दिन?

Old Prayagraj Memories: एक तरफ खुल्दाबाद, नखास कोहना, शाहगंज, अतरसुइया जैसे मुस्लिमों व हिंदुओं की मिली-जुली आबादी वाला क्षेत्र था…

Strange Wedding Rituals Around the World
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यहां शादी के बाद 3 दिन तक टॉयलेट नहीं जा सकती दुल्हन, इस अजीबो-गरीब रिवाज की वजह जानकर हैरान रह जाएंगे

Unusual Marriage Traditions: निया भर में शादी से जुड़े कुछ अजीब और विचित्र रिवाज होते हैं जो अक्सर हैरान कर…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: परंपराओं से दूर हो रहे लोग, शहरीकरण के दौर में लोक से हो रहा मोहभंग

गनीमत है कि अभी भी गांव की बची-खुची आबादी शहरी व्यामोह में नहीं फंसी। आज भी सुदूर गांवों या वनप्रांतर…

Jansatta Dunia Mere Aage, jansatta Epaper
दुनिया मेरे आगे: स्वर का संसार और ध्वनि का विकास, प्रकृति की मधुरता से यांत्रिक शोर तक का सफर

अशोक कुमार बता रहे हैं कि जो ध्वनि हमारे कानों को मधुर और मीठा लगे, उसे संगीत माना गया है,…

Letter| relative| write
दुनिया मेरे आगे: अहं का विसर्जन, चिट्ठियों का जमाना और मन की कसक

चिट्ठियों को देखे मानो जमाना हो गया है। चिट्ठियों का यों इतिहास हो जाना दुखद है। इनका कोई संग्रहालय भी…

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