
हम जब कुछ लिखते हैं तो स्वयं से संघर्ष करते हैं। मन-मस्तिष्क में द्वंद्वात्मक भाव रहता है। फिर यथार्थ को…
राष्ट्रवाद इतना तंगनजर है कि पिछले दशक में अचानक हमें दिखने लगे हैं ऐसे लोग, जो खुल कर कहते हैं…
सरकार ने कारपोरेट समर्थक और मित्रतावादी पूंजीपतियों की समर्थक होने का ‘टैग’ हासिल कर लिया है। कारपोरेट मुनाफा 2022-23 में…
लोकचित्त को समझने और उसमें प्रवेश करने के लिए योग की भूमिका गहरे सूत्रों-संकेतों और संभावनाओं से युक्त है। पर…
भारतीय परंपरा में परोपकार, सेवा, दान का एक ही लक्ष्य मानवता है। यह सभी संकीर्णताओं को पराजित करता है। शिक्षा,…
जिन चीजों को भाजपा के प्रवक्ताओं ने केजरीवाल के शीशमहल में गिनवाई हैं, ऐसे जैसे कि उनके होने से साधारण…
नए नियमों के तहत दरअसल, विश्वविद्यालयों का राष्ट्रीयकरण हो जाएगा और ‘मसीहा’ देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआइ) पर…
बहसों के ‘दो पाटों के बीच’ में फंसे कई एंकर जितना कहते कि ‘जो चला गया, उस पर राजनीति न…
एक ओर आभासी दुनिया में बच्चों का मन भरमाने वाली सामग्री उन्हें दिशाहीन बना रही है, तो दूसरी ओर नाबालिगों…
कहना जरूरी है कि क्या हम राजनीतिक पंडितों को ऐसी योजनाओं का विश्लेषण ईमानदारी से नहीं करना चाहिए, जो लागू…
इतिहास डॉ. सिंह के प्रति दयालु होगा या नहीं, मेरा मानना है कि इतिहास के पन्नों पर डॉ. सिंह के…
कुछ देर के लिए ही सही, मनमोहन सिंह के निधन ने सभी नेताओं को थोड़ा-थोड़ा ‘निर्मल’ कर दिया! कबीर की…