Rakesh Sinha ka Blog, Ravivari Stambh
Blog: डायरी और चिट्ठी- क्या लेखनी से फिर जागेगी आत्मसंघर्ष और मौलिकता की परंपरा?

हम जब कुछ लिखते हैं तो स्वयं से संघर्ष करते हैं। मन-मस्तिष्क में द्वंद्वात्मक भाव रहता है। फिर यथार्थ को…

तवलीन सिंह का कॉलम वक्त की नब्ज: बड़ा सवाल- क्या देशभक्ति और राष्ट्रवाद का फर्क समझने का आ गया है वक्त?

राष्ट्रवाद इतना तंगनजर है कि पिछले दशक में अचानक हमें दिखने लगे हैं ऐसे लोग, जो खुल कर कहते हैं…

Ravivari Stambh, P. Chidambaram Column Dusri Nazar
पी. चिदंबरम का कॉलम दूसरी नजर: बजट से उम्मीदें या मोहभंग? अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात पर बड़ा सवाल

सरकार ने कारपोरेट समर्थक और मित्रतावादी पूंजीपतियों की समर्थक होने का ‘टैग’ हासिल कर लिया है। कारपोरेट मुनाफा 2022-23 में…

जनसत्ता ब्लॉग, Jansatta Blog
Blog: योग की भूमिका और भक्ति का सवाल, भारतीय समाज में संस्कृति और स्वतंत्रता की तलाश

लोकचित्त को समझने और उसमें प्रवेश करने के लिए योग की भूमिका गहरे सूत्रों-संकेतों और संभावनाओं से युक्त है। पर…

Rakesh Sinha ka Blog, Ravivari Stambh
राकेश सिन्हा का ब्लॉग: वक्फ, परोपकार और सांप्रदायिकता, आखिर समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्यों?

भारतीय परंपरा में परोपकार, सेवा, दान का एक ही लक्ष्य मानवता है। यह सभी संकीर्णताओं को पराजित करता है। शिक्षा,…

Tavleen Singh column
तवलीन सिंह का कॉलम वक्त की नब्ज: सवाल शीशमहल और केजरीवाल की राजनीति पर, लेकिन क्या वाकई यह जनता का मुद्दा है?

जिन चीजों को भाजपा के प्रवक्ताओं ने केजरीवाल के शीशमहल में गिनवाई हैं, ऐसे जैसे कि उनके होने से साधारण…

Ravivari Stambh, P. Chidambaram Column Dusri Nazar
पी. चिदंबरम का कॉलम दूसरी नजर: नए वायसराय यानी राज्यों से विश्वविद्यालय छीनने की तैयारी, क्या शिक्षा में ‘नया राजतंत्र’ ला रहा है केंद्र?

नए नियमों के तहत दरअसल, विश्वविद्यालयों का राष्ट्रीयकरण हो जाएगा और ‘मसीहा’ देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआइ) पर…

Sudhish Pachauri column
सुधीश पचौरी का कॉलम बाखबर: मंदिर, राजनीति और मीडिया- बहसों के दो पाटों के बीच फंसा समाज

बहसों के ‘दो पाटों के बीच’ में फंसे कई एंकर जितना कहते कि ‘जो चला गया, उस पर राजनीति न…

Mobile, Mobile addiction
Blog: हर समय स्क्रीन स्क्रॉल करते बच्चों का बदलता मनोविज्ञान, भयानक घटनाओं को भी मानो कोई ‘रील’ समझने लगा है

एक ओर आभासी दुनिया में बच्चों का मन भरमाने वाली सामग्री उन्हें दिशाहीन बना रही है, तो दूसरी ओर नाबालिगों…

Tavleen Singh column
तवलीन सिंह का कॉलम वक्त की नब्ज: पत्रकारिता का दायित्व- क्या हम ईमानदारी से लिख रहे हैं इतिहास का पहला मसविदा?

कहना जरूरी है कि क्या हम राजनीतिक पंडितों को ऐसी योजनाओं का विश्लेषण ईमानदारी से नहीं करना चाहिए, जो लागू…

Ravivari Stambh, P. Chidambaram Column Dusri Nazar
पी. चिदंबरम का कॉलम दूसरी नजर: नीली पगड़ी और दृढ़ इरादे, जब मनमोहन सिंह बने ‘आकस्मिक’ वित्त मंत्री

इतिहास डॉ. सिंह के प्रति दयालु होगा या नहीं, मेरा मानना है कि इतिहास के पन्नों पर डॉ. सिंह के…

Sudhish Pachauri, Bakhabar, PM Modi
“ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया, मनमोहन सिंह के निधन ने राजनीति को दी ‘निर्मलता’ की झलक”, चैनलों की रिपोर्ट पर सुधीश पचौरी की नजर

कुछ देर के लिए ही सही, मनमोहन सिंह के निधन ने सभी नेताओं को थोड़ा-थोड़ा ‘निर्मल’ कर दिया! कबीर की…

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