
‘बेतुके बयान’ (28 अक्तूबर, संपादकीय) पक्ष-विपक्ष दोनों जगह सही ठहरता है।
आंकड़े साक्षी हैं कि उच्च शिक्षा के हर स्तर के संस्थानों में अन्य अभावों के साथ सबसे महत्त्वपूर्ण समस्या है…
‘भुखमरी की बढ़ती त्रासदी’ (24 अक्तूबर) पढ़ा। किसान की कड़ी मेहनत और लागत के बाद अनाज पैदा होता है।
कुदरत से खिलवाड़ के खतरे’ (28 अक्तूबर) लेख विषय पर गंभीर चर्चा करने वाला था।
महामारी और दूसरे अन्य कारणों से जो क्षति लोक कलाकारों को पहुंची है, उससे संभलने के मौके निकालने होंगे। हालांकि…
कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा और उनके सुरक्षित पुनर्वास के लिए युद्ध स्तर पर नए सिरे से कोशिशें होनी चाहिए।
देश के रेल ढांचे में सुधार की बहुत आवश्यकता है। सरकार को रेल व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए और सुनिश्चित…
प्रतिष्ठित लोग ही अगर पुस्तक नहीं खरीदेंगे तो फिर और लोग क्यों खरीदेंगे? न जाने क्यों, हमारे यहां समर्थ लोगों…
वह भी एक वक्त था जब ब्रिटेन ने हमारे देश पर 200 वर्षों तक शासन किया था।
बच्चों के भविष्य की नींव मजबूत करने के लिहाज से माता-पिता और अभिभावकों के लिए बच्चों की मानसिकता को समझना…
सतत् विकास लक्ष्य ‘शून्य भुखमरी’ को 2030 तक प्राप्त करना थोड़ा मुश्किल लग रहा है, क्योंकि भुखमरी की समस्या घटने…
एक दौर था जब संयुक्त परिवार का बोलबाला हुआ करता था, लेकिन जैसा कि प्रकृति का नियम है, वक्त अपने…