Money and peace, position and fame, human desires
दुनिया मेरे आगे: अगर सब कुछ पैसा ही है तो पैसे वालों की जिंदगी में सुकून क्यों नहीं है? सवाल वही – बाजार में चैन क्यों नहीं बिकता?

जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें राजेंद्र बज के विचार।

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दुनिया मेरे आगे: आनंद और पीड़ा दोनों को गले लगाएं, जिसके पास सबसे ज्यादा सुख है, उसी के पास सबसे गहरा दुख भी है

जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें तनुजा चौबे के विचार।

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दुनिया मेरे आगे: शरीर में खुशी का हार्मोन बढ़ाना है तो उपहार दें… चीज छोटी, असर भारी; क्योंकि भावनाएं शब्दों से आगे जाकर रिश्तों को छूती हैं

उपहार देना तभी सार्थक होता है जब इसके साथ हमारी भावनाएं भी स्नेह से भरी और पवित्र हों। अगर हम…

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दुनिया मेरे आगे: सच्चा आनंद पाने का रास्ता है खुद को पहचानना, हर हालात को अपनाना और आभार के साथ जीना सीखना

आनंद कोई क्षणिक भाव नहीं है जो एक बार मन में उत्पन्न हुआ और कुछ ही देर में समाप्त हो…

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दुनिया मेरे आगे: असली खुशी की खोज; जब लक्ष्य तय हो और सोच सकारात्मक हो, तब खुद से रोशनी लो, जीवन को दिशा दो

ताउम्र चले और कहीं नहीं पहुंचे की स्थिति तब होती है, जब चलने वाला जानता ही नहीं कि जाना कहां…

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दुनिया मेरे आगे: बाजार से पूछ रहा इंसान – खुशियों का कौन-सा है ब्रांड? त्योहार, रिश्ते और मशीन का हुआ बाजारीकरण

बाजार चमक रहे हैं, प्रचार हमें अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। अब त्योहारों का मतलब मिलना-जुलना कम और दिखना-दिखाना…

Jansatta Dunia Mere aage, Jansatta Epaper
दुनिया मेरे आगे: अतीत का बोझ क्यों ढो रहे हैं हम? जीवन को हल्का बनाने के 3 आसान उपाय

मनुष्य को यह स्वीकार करना होगा कि अतीत को बदला नहीं जा सकता। जो कुछ भी हुआ, अच्छा या बुरा,…

Jansatta Editorial, jansatta Epaper
संपादकीय: भारत खुश तो है, लेकिन अधूरा, ‘हैप्पीनेस इंडेक्स’ में अभी भी पिछड़ा

इसमें कोई दोराय नहीं कि रोजी-रोटी की जद्दोजहद और भागदौड़ की जिंदगी में तनाव बढ़ा है। आर्थिक चुनौतियां भी गहरी…

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Happiness Index: बम-बारूद में ज्यादा खुश हैं पाकिस्तानी? हैप्पीनेस इंडेक्स रिपोर्ट में भारत से आगे निकले गए पड़ोसी

Happiness Index Report: पाकिस्तान में आए दिन आतंकी हमले हो रहे हैं। इसके बावजूद हैप्पीनेस इंडेक्स में पाकिस्तान भारत से…

Jansatta Dunia Mere Aage, jansatta Epaper
दुनिया मेरे आगे: कामयाबी की नई परिभाषा, छोटी सफलताओं और खुशियों से अवसाद पर काबू पाने का जादू

आज विश्व स्तर पर जीवन परंपरा को सुधारने की कवायद चल रही है। हमको गिलास आधा भरा दिखाई देता है…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: मदद करने पर मिलती है अलग तरह की खुशी, विज्ञान-धर्म और दर्शन से है प्रमाणित

मदद और ईर्ष्यारहित भावना से मिलने वाली खुशी ही सच्ची खुशी है। हमारे स्वास्थ्य पर इस बात का बहुत गहरा…

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