जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: अच्छा श्रोता सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी साबित होता है फायदेमंद, मनोचिकित्सक की निभाता है भूमिका

एक अच्छा श्रोता मनोचिकित्सक की तरह होता है, क्योंकि वह किसी के मन में दबी हुई कड़वी यादों, अनुभव और…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास नहीं है प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का समय, भुगतना पड़ता है खुद ही खमियाजा

इस भागदौड़ भरी और अब डिजिटल होती दुनिया में क्या किसी के पास इतना समय बचा है कि वह प्रकृति…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: पारिवारिक संस्कारों के आधार पर निर्धारित होता है आदमी का आचार-विचार और व्यवहार, टेक्निकल कम्युनिकेशन के दौर में झूठे प्रचार का सिलसिला जोरों पर

आजकल आदमी का नजरिया काफी हद तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आत्मसात करने का हो गया दिखता है, जिसके कारण सोचने-समझने…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: कुछ लाख अंग्रेजों ने करोड़ों भारतीयों पर किया राज, अपने से नीचे तबके पर हमेशा शासन करता आया है धनाढ्य वर्ग

लाखों के गहने बनाने वाले कारीगर उसे चाहकर भी खरीद नहीं पाते। वे गहने उनके हाथों से फिसलकर दूसरे हाथों…

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दुनिया मेरे आगे: कल, आज और आने वाले कल की तीन पीढ़ियों की समझ में जमीन-आसमान का आ गया अंतर, अनमोल रिश्ते दांव पर लगा दे रहे हैं लोग

बीते कल, आज और आने वाले कल की तीन पीढ़ियों की समझ में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है। विचारक…

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दुनिया मेरे आगे: नारे-जलूस और सभाओं से आम आदमी की उठ गई है आस्था, देख रहा राजनीतिक स्वार्थ और आचरण की मक्कारी

आज मानव मूल्यों का इतना पतन होता जा रहा है कि समस्याओं के प्रति हमारी संवेदनाएं कुंद हो गई लगती…

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दुनिया मेरे आगे: चकाचौंध और लोकप्रियता की होती है अपनी कीमत, निराशा की जगह हिम्मत के चुनाव से जीवन में आता है निखार

संपूर्णता की तस्वीर असल में सफल, असफल प्रयासों, कमियों, अभावों, निराशा, उत्साह, अपमान, आलोचना, प्रशंसा की छोटी-छोटी कहानियों को आपस…

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दुनिया मेरे आगे: सीखने की नहीं होती कोई उम्र, भाषा के मामले में लोगों के बीच फैलाई जाती है नफरत

कई इलाके ऐसे हैं, जहां कुछ किलोमीटर के बाद ही बोली बदल जाती है। पहाड़ी इलाकों में ऐसा सामान्य तौर…

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दुनिया मेरे आगे: ओटीटी चैनलों पर भरी पड़ी है नग्नता और अश्लीलता, परिवार के साथ बैठकर देख नहीं सकते, कार्यक्रमों में की जा रहीं माता-पिता पर भद्दी टिप्पणियां

अफसोस की बात है कि आज समाज और संसार अपने ज्यादा सभ्य और आधुनिक होने का दावा कर रहा है,…

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दुनिया मेरे आगे: क्रिकेट की आंधी का अन्य खेलों पर हुआ असर, रही सही कसर टीवी और वीडियो गेम ने कर दी पूरी

फिर क्रिकेट की ऐसी आंधी आई जिसमें सभी खेल लगभग उड़ते दिखाई दिए। रही-सही कसर टीवी और वीडियो गेम ने…

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दुनिया मेरे आगे: सुखी और स्वार्थपूर्ण जीवन की लालसा कभी नहीं होती खत्म, सामाजिक होने के उदार भाव में नहीं हावी रहती असुरक्षा

अपने को समाज का विस्तार मानना और समाज में खुद को देखना ही हमारी सकारात्मक चेतना का एक सही विस्तार…

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दुनिया मेरे आगे: महंगी गाड़ी, नामी कंपनी के कपड़े और आलीशान मकान बन रहा सफलता का अर्थ, मानकों से नहीं बल्कि परिणाम से तय होनी चाहिए सफलता की परिभाषा

सफलता की परिभाषा को तात्कालिक मानकों से नहीं, बल्कि उसके असर से देखा जाना चाहिए। सफलता अगर केवल भौतिक उपलब्धियों…

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