जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: दुखी होने का सुख है उदासी, उपहार स्वरूप लोगों को बनाता है अंतर्मुखी

सुख स्वार्थी बना सकता है, दुख निस्वार्थ होने की ओर प्रेरित करता है। जो प्रफुल्लित है, सुखी है, स्वयं में…

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दुनिया मेरे आगे: उम्मीदों की जिंदगी, निराशा के बीच आशावान होना

इंसान समाज का आईना होता है। उसकी तरक्की से ही समाज की तरक्की जुड़ी हुई है। अगर कोई व्यक्ति समाज…

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दुनिया मेरे आगे: वेस्टर्न कल्चर ने भारतीय परिवारों को किया कमजोर, संवेदनाओं का रेगिस्तान बनती जा रही जीवनशैली

जागरूक और संवेदनशील नागरिक किसी देश के सबसे बड़े संसाधन माने जाते हैं। जिन देशों ने तीव्र गति से विकास…

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दुनिया मेरे आगे: सफलता के लिए सबसे जरूरी औजार है धैर्य, आज के बच्चे-युवाओं में धीरज की कमी

अगर हमें जीवन में कुछ प्राप्त करना है तो अपनी प्रवृत्ति बदलनी होगी। धैर्य के रथ पर आरूढ़ होकर सफलता…

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दुनिया मेरे आगे: डिब्बाबंद खाने की सुविधा का हो रहा दुरुपयोग, जानवरों को भरना पड़ रहा खामियाजा

अब साफ-सफाई की व्यवस्था में अभिन्न हो गई अव्यवस्था की समस्या गांवों, शहरों, देशों से आगे बढ़कर विश्व की समस्या…

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दुनिया मेरे आगे: जीवन का सबसे बड़ा दुश्मन खुद का मन, विचार से व्यक्तित्व की ओर चल रही यात्रा

हम अक्सर बड़े-बुजुर्गों को कहते सुन सकते हैं कि सात्विक भोजन खाने और पेय पीने वालों के विचार भी दूषित…

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दुनिया मेरे आगे: ऊंची उड़ान के लिए गांव से पलायन कर रहे लोग, नई दुनिया ने घर-आंगन सब को कर दिया सूना

धरती, घर और मां को छोड़ना कितना मुश्किल है, यह उनसे पूछा जा सकता है, जो रहते तो विदेश में…

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दुनिया मेरे आगे: प्रेम में संतुलन जरूरी , सिद्धांतों के बिना हो जाता है अंधकारमय

विवेक से रहित प्रेम हमारे समाज में एक जटिल समस्या है, जो व्यक्ति को उसकी पहचान और आत्मसम्मान से दूर…

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दुनिया मेरे आगे: आधुनिक्ता के दौर ने बदल दिया बच्चों का खेल और खिलौना, पहले आटा से बनती थी चिड़िया

बच्चे तो बच्चे, बड़े लोग भी खिलौनों के मोह में फंसे दिखाई पड़ते हैं। वित्तीय व्यवस्था में सुधार के साथ…

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दुनिया मेरे आगे: जीवन में ही देखने को मिल जाते है सभी रंग, पद-रुतबा का होता है एक निश्चित समय

भौतिक समृद्धि कभी वास्तविक सुख का आधार नहीं हो सकती। मन की प्रसन्नता के चलते विपरीत से विपरीत परिस्थिति में…

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दुनिया मेरे आगे: 1986 का नारा नई शिक्षा नीति में होने जा रहा लागू, शिक्षित और साक्षर के बीच अंतर

जो खेती करना जानते हैं, उनको रोज की आमद हो जाती है, वे भी रोटी, कपड़ा और मकान किसी तरह…

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दुनिया मेरे आगे: ‘शब्दों’ से होती है हमारी पहचान, जीवन में करता है ऊर्जा का संचार

कोई भी शब्द जब एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक की यात्रा करता है, तो वह खाली हाथ नहीं जाता…

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