
जीवन में सुख-दुख साथ-साथ आते हैं। पर हमें लगता है कि दुख ने हमारे घर में अधिक समय तक बसेरा…
हम सिर्फ सोचते ज्यादा रहे हैं। सपनों में ही ज्यादा खोते रहे हैं। इसलिए शायद हकीकत का धरातल उथला रह…
कई लोग सामने बैठ तो जाते हैं, मगर पल में ही कहीं खो जाते हैं। वे न तो बोलने वाले…
भले ही इंसान एक स्वार्थी और आत्मकेंद्रित जीव है, लेकिन उसमें परोपकार सहानुभूति और समानुभूति के भाव आसानी से जागृत…
इस बाजारवाद की सबसे भयावह चीज यही है कि मध्यवर्गीय परिवार के अनेक बच्चे अपने अभिभावकों की परेशानियों को समझना…
जीवन की शांति परिस्थितियों को न केवल ठीक करने की लगन से मिलती है, बल्कि यह सोचने से भी मिलती…
समय प्रबंधन ही समस्त रिश्तों का आधार होता है। जो व्यक्ति हमसे जुड़ा है, वह संवाद की अपेक्षा हमसे रखता…
मौके-बेमौके मिठाइयां खाने- खिलाने की चाह हर किसी को होती ही है। इसीलिए हर तीज- त्योहार से किसी न किसी…
हमारे प्राणों, शरीर और जीवन के मुख्य आधार प्राकृतिक घटकों की स्थिति ही जब अत्यधिक प्रतिकूल हो चुकी हो तो…
सहयोग जैसे दिव्य और भव्य गुण के बल पर समाज और इंसान में एक सहज संबंध विकसित होकर भावना और…
एक तारा अगर टूट जाए तो इससे फलक सूना नहीं हो जाता। इसी तरह किसी स्वप्न के टूटने से जीवन…
बच्चों से अगर पूछा जाए कि आपका प्रिय विषय क्या है, तो अधिकतर गणित, विज्ञान, इतिहास, अंग्रेजी, समाज विज्ञान जैसे…