जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: सही रास्ते पर आगे बढ़ने में नहीं है कोई बुराई, जिंदगी जीने के अंदाज सिखाने वाले कम नहीं

अगर माफी मांगना जरूरी है तो वक्त की जरूरत के मुताबिक माफी मांग भी लेनी चाहिए। खुले दिल से माफी…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: तनावपूर्ण जिंदगी जीने के आदी होते जा रहे लोग, चिंता की गुत्थियां को समझना टेढ़ी खीर

चिंता से बचने के उपाय व्यक्ति को खुद ही खोजने होंगे। सामान्य तौर पर जो हमारी पहुंच या नजरों से…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: तकनीक ने बढ़ा दी बीमारियां, इंसानियत धीरे-धीरे हो रहा खत्म

तकनीकी प्रगति ने जीवन को सरल बना दिया है, लेकिन इसने हमारे दिलों को जटिल भी कर दिया है। क्या…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: मानव जीवन में ज्ञानेंद्रियों की यात्रा, भाषाओं से ही समूचे ज्ञान का हुआ उदय

प्रकृति प्रदत्त ज्ञानेंद्रियों और मनुष्य की सृजनात्मक और विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों की निरंतर जुगलबंदी ने आज की दुनिया को एक ऐसे…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: बड़ी समस्या बनकर उभर रही ऊबन, निजात पाने के लिए लोग कर रहे तरह-तरह के प्रयोग

कभी-कभी ऊब महसूस होना स्वाभाविक है, लेकिन जब यह स्थायी मनोदशा बन जाए तो चिंताजनक है। ऊबना नकारात्मक विचारों की…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: रिश्तेदारी से अधिक अपनेपन के रिश्ते होते हैं मजबूत, आपाधापी के दौर में आत्मकेंद्रित होना नहीं है सही

परिस्थितियां एक समान नहीं होतीं और न ही जैसा हम सोचते हैं, वैसी ही होगी। संकटकालीन परिस्थितियों में अपनों का…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: प्रकृति के साथ सृजन का सरोकार, मशीनी युग में लोगों का रचनात्मक होना अनिवार्यता

रचनात्मक होना हमारे भीतर हमेशा ही रहता है, बस उसके सामने का दरवाजा जो होता है, वह बंद रहता है।…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: हर किसी की अपनी-अपनी दुनिया, लोग हो जाते हैं मनोरोग का शिकार

आज की इस भौतिक दुनिया में सब इतने अकेले और परेशान हैं कि कोई किसी को स्वीकार नहीं करना चाहता।…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: हर सुर का होता है संदेश, फेरीवाले से लेकर बड़े संगीतकार की है अपनी कला

वही बातें सुननी चाहिए जिसमें दूरदर्शिता हो और वह विवेकपूर्ण हो। उसमें सभी का हित सम्मिलित हो, प्रगतिशील समझ हो,…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: समय का सही उपयोग हमें बनाता है सफल और आत्मनिर्भर, सपनों को साकार करने में करता है मदद

वक्त बीतने के साथ-साथ कई ऐसी यादें भी होती हैं जिन्हें हम भुला नहीं सकते। जब हम किसी प्रिय व्यक्ति…

love and relationship
दुनिया मेरे आगे: प्यार की शुरुआत में तो लोग रहते हैं सतर्क, एक-दूसरे से दूर होने पर तड़प और प्रेम का होता है अनुभव

बेहतरीन प्रेम कविताएं प्रेम के दौरान नहीं, प्रेम की स्मृति में या उसकी कल्पना में लिखी गई हैं। प्रेम करना,…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: भारतीय संस्कृति में त्योहारों का महत्व, शुभकामनाओं का बाजार के बीच कुछ इस तरह आया बदलाव

अगर हमें अपने त्योहारों की पवित्रता बचानी है तो कम से कम इन्हें बाजार और पैसे के मकड़जाल से बचाकर…

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