RBSE 5th Result 2025
दुनिया मेरे आगे: ड्रॉपआउट कम करने का पाठ, स्कूल का आनंदमय माहौल और जिम्मेदारी की जरूरत

जितने भी अध्यापक या शिक्षा प्रशासन के लोग हैं, उन्हें नियमित रूप से विद्यालय में आनंदमय वातावरण बनाना चाहिए। अगर…

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दुनिया मेरे आगे: तलवार से गहरी होती है शब्दों की चोट, बातें रह जाती हैं, बोलने से पहले सोच-समझना जरूरी

शब्दों ने किसी को अगर कुछ नैतिक बल दिया है तो बहुत कुछ लिया भी है। हम आए दिन देखते…

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दुनिया मेरे आगे: झुनझुनों की जगह मोबाइल ने ली, मदारी-भालू हुए गुम; कहां खो गया बचपन का असली मेला?

खेल-खिलौने के बदलते स्वरूप के बीच तरह-तरह के खेल दिखाने और मनोरंजन करने वाले गांव-गली से गायब हो गए हैं।…

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दुनिया मेरे आगे: मैं कौन हूं? खुद से मिलने की सबसे लंबी यात्रा है एकांत का सच और आत्मपरिचय का अद्भुत मार्ग

एकांत में शांति की गोद को पाकर हम जीवन की सारी उथल-पुथल, विचारों के उद्वेग, इच्छाओं के संजाल और प्रत्येक…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: जब बुद्धिमत्ता प्रकृति से टकराए, विकास की दौड़ में विनाश की आहट

मनुष्य की बुद्धिमत्ता ने उसे विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। मगर जब यही बुद्धिमत्ता प्रकृति के विरुद्ध खड़ी…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: ईमान की राह से जब मन भटकाने लगे, तब खुद को कैसे संभालें, एक सच्चे और सादे जीवन की सबसे बड़ी कसौटी

जीवन के हर रंग में ईमानदारी की दरकार होती है। इसके बिना जीवन बनावटी और काले लोहे पर दिखावे के…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: सपनों की शादी या जिंदगी की सजा, रिश्तों में संवेदनाओं की हार, युवा क्यों नहीं निभा पा रहे साथ?

आजकल कई बार रिश्ते तभी तक निभाए जाते हैं, जब तक वह उबाऊ न हो। दो लोगों के बीच ऊब…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: प्रार्थनाओं का बदलता स्वरूप, जब अहंकार और स्वार्थ से हार गई विनम्रता

अगर हमारी प्रार्थनाएं करुणा, भाईचारा, प्रेम, सहिष्णुता उत्पन्न करने में विफल हो रही हैं, तो हमें समझ लेना चाहिए कि…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: भीड़ में अकेला इंसान और टूटते रिश्तों का वक्त, विकास की दौड़ में कहीं पीछे छूट गया है हमारा ‘हम’

अकेलापन किसी की सामाजिक स्थिति या उपलब्धियों से परे है। यह अनुभव हर किसी को छू रहा है। दरअसल, अकेला…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: क्यों चुभती है किसी की सफलता? तारीफ से परहेज करने वालों की मानसिकता पर गहरी नजर

दूसरों को सुखी देख दुखी होने की मानसिकता हमें कभी भी सुख, खुशी, आनंद और उल्लास नहीं दे सकती। हमें…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: जब नमन भी चुप हो जाए और बंदगी सवाल बन जाए तो समझो आत्मा मांग रही है इंसाफ

जीवन का अर्थ क्या है। न्याय, सत्य और आस्था का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है? जब हम अन्याय और…

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