गुरु पूर्णामा इस साल 2017 में रविवार (9 जुलाई) को पड़ रही है। नासा ने भी इस बारे में ट्वीट किया था। नासा ने बताया था कि फुल मून को और भी कई नामों से जाना जाता है जिसमें गुरु पूर्णिमा भी एक है। नासा ने अपने ट्वीट में कहा था, ‘इस वीकेंड पर फुल मून है, जिसे गुरु पूर्णिमा, हेय मून, मिड मून, रिप कोर्न मून, बक मून और हमारा पसंदीदा थंडर मून कहा जाता है।’ नासा ने इसके साथ पूरे चांद की एक शानदार फोटो भी लगाई। नासा की इस फोटो को विदेश के साथ-साथ भारत में भी काफी लोगों ने पसंद किया। लोग लगातार इसको शेयर रहे थे। गुरू पूर्ण एक बेहद पुराना भारतीय त्यौहार है जो हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है।
कैसे पड़े नाम: अमेरिका के लोगों ने हर महीने के पूरे चांद को अलग-अलग नाम दिया हुआ है। इससे वहां के किसानों को मौसम के बारे में याद करने में आसानी होती है। जुलाई के चांद को ‘थंडर मून’ कहा जाता है क्योंकि इस मौसम में वहां आंधी ज्यादा आती हैं।
भारत में कब दिखेगा: जुलाई का फुल मून रविवार रात 12 बजे के लगभग पूरा दिखेगा। लेकिन भारत की बात करें तो यहां यहा रविवार सुबह पांच से छह बजे के बीच देखा जा सकेगा।
भारत में गुरु पूर्णिमा का महत्व: आषाढ़ मास की पूर्णिमा को भारत में गुरु पूर्णिमा कहते हैं। मौसम की दृष्टि से आगे आने वाले चार महीने सबसे अच्छे माने जाते हैं क्योंकि इनमें ना ज्यादा सर्दी होती है और ना ही ज्यादा गर्मी। इस मौसम को पढ़ाई आदि के लिए भी सबसे अच्छा माना जाता है। ऐसे ही गुरुचरण में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
क्या हैं मान्याताएं: कहा जाता है कि आज के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने ही चारों वेदों को लिपिबद्ध किया था। इसी कारण से उन्हें वेद व्यास के नाम से जाना गया। उनके सम्मान में कई जगह गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते है। मथुरा के स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के लिए भी लोग जाते हैं। आज ही के दिन साधु सिर मुंडाकर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं, ब्रज में इसे मुड़िया पूनों नाम से जाना जाता है।
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