सौराष्ट्र, दक्षिण और मध्य गुजरात के कम से कम 12 गांवों के लोगों ने रविवार को स्थानीय निकाय के चुनावों में वोट का बहिष्कार किया। इसकी वजह बताई उनके गांवों में बुनियादी सुविधाओं का भी नहीं होना। बता दें कि नरेंद्र मोदी लगातार राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुजरात के विकास मॉडल की बात करते रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने हर चुनावी सभा में गुजरात के विकास मॉडल की बात की और लोगों के बीच अपनी छवि विकास पुरुष के रूप में स्थापित करने की कोशिश की। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी कई महीनों तक वह मुख्यमंत्री के रूप में खुद के द्वारा किए गए गुजरात के विकास से जुड़े दावे करते रहे थे। पर रविवार को अकेले सौराष्ट्र में पांच गांवों के लोगों ने विकास नहीं होने जाने और सरकार द्वारा उनके खिलाफ लिए गए फैसलों को कारण बताते हुए तालुका व जिला पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया।
शक्त सानला गांव के सभी 619 मतदाताओं ने वोट का बहिष्कार किया। यह गांव मोरबी शहर के पास बसा है। इसे नगर निगम क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है। यहां के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। भावनगर जिले के मुंडकिधार गांव में 650 लोगों ने इसलिए नहीं वोट दिया क्योंकि वे उनके गांव को पलिटाना तालुका से हटा कर जेसर तालुका में शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं। राजकोट में भी लालअवादर और गढ़ाला गांवों के लोगों ने वोट नहीं डाले। लालअवादर गांव के लोगों ने सरकार पर मुआवजा देने के मामले में पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए वोट का बहिष्कार किया, जबकि अमरेली जिले के भनिया गांव में लोगों ने कहा कि उनके गांव में सड़क और बिजली तक की पुख्ता व्यवस्था नहीं है, इसलिए वे वोट नहीं डालेंगे।
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