बिहार के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने और नीतीश कुमार के लिए रास्ता बनाने से इनकार करने वाले जीतन राम मांझी को सोमवार को पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ में शामिल रहने के लिए निष्काषित कर दिया। जबिक राज्य में नई सरकार बनाने में विलंब की आशंका के मद्देनजर जदयू विधायक दल के नए नेता नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से 11 फरवरी को 130 विधायकों को उनके समक्ष सशरीर प्रदर्शित करने के लिए समय मांगा है।

जदयू के महासचिव के. सी. त्यागी ने बताया कि राष्ट्रपति भवन से 11 फरवरी को समय मांगा गया है।

उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार और अन्य वरिष्ठ नेता राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें बिहार में सरकार बनाने का मौका देने का अनुरोध करेंगे। फिलहाल दिल्ली में मौजूद त्यागी ने फोन पर बताया कि इस अवसर पर जदयू, राजद, कांग्रेस और भाकपा और एक निर्दलीय विधायक सहित कुल 130 विधायक नीतीश जी के साथ होंगे।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष विधायकों की ऐसी परेड पहले भी हुई है। वर्ष 2005 में बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह ने जब नीतीश जी को सरकार बनाने का अवसर देने से इनकार कर दिया था तो जदयू और भाजपा के विधायकों ने लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राष्ट्रपति भवन मार्च किया था।

त्यागी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह को सरकार बनाने का अवसर नहीं दिए जाने पर ऐसा किया गया था और आंध्र प्रदेश के एनटी रामा राव ने ऐसा किया था। नीतीश कुमार कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि कल दोपहर तक यदि राजभवन से कोई संदेश प्राप्त नहीं होता है तो नीतीश उन्हें समर्थन दे रहे 130 विधायकों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो सकते हैं।

त्‍यागी ने यह भी कहा कि बीजेपी अमित शाह के इशारे पर ‘ऑपरेशन मांझी’ चलाया जा रहा है। मांझी को ऐसे समय में पार्टी से निष्काषित किया गया है जब नीतीश कुमार ने आज दोपहर डेढ़ बजे राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया।

गौर हो कि मांझी को रविवार को पार्टी विधायकों की बैठक में जदयू विधायक दल के नेता पद से बर्खास्‍त कर दिया गया था। इसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा था कि मांझी की नाव कभी नहीं डूबती है। मांझी 2005 और 2010 में दोनों समय नीतीश कुमार सरकार में शामिल थे और पिछले वर्ष 19 मई को कुमार के इस्तीफा देने के बाद उन्होंने राज्य की बागडोर संभाली थी। अपने संरक्षक नीतीश कुमार के साथ अंतिम मुकाबले के लिए तैयार दिख रहे मांझी नई दिल्ली से पटना लौट आए हैं।

विधानसभा में शक्तिपरीक्षण के बिना इस्तीफे से इंकार करते हुए कल मांझी ने कहा था कि वह सदन में अपना बहुमत साबित कर देंगे और अगर ऐसा नहीं कर सके तब इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने नीतीश कुमार पर ‘सत्ता का लालच’ होने का आरोप लगाया था। मांझी पटना हवाईअड्डा से मुख्य सूचना आयुक्त के शपथ ग्रहण में हिस्सा लेने सीधे राजभवन चले गए। मांझी के साथ वरिष्ठ नेता नरेन्द्र सिंह नई दिल्ली से आए हैं जो उनके मुख्य सलाहकार माने जाते हैं। मंत्री विनय बिहारी, विधायक राजू सिंह, सुमित सिंह एवं अन्य नेता भी पटना हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी के लिए मौजूद थे। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के साले साधु यादव ने भी हवाई अड्डे पर मांझी की आगवानी की।