फिल्‍म निर्माता और निर्देशक संजय लीला भंसाली पर जयपुर में पद्मावती की शूटिंग के दौरान हमला कर दिया। राजस्‍थान के संगठन राजपूत करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने जयगढ़ में शूटिंग के दौरान भंसाली से मारपीट की और सेट को तोड़ दिया। मारपीट करने वालों का कहना है कि फिल्‍म में इतिहास से छेड़छाड़ की गई है। इसे बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। उनकी ओर से कहा गया कि एक इंटरव्यू में उन्‍होंने पढ़ा कि फिल्‍म में एक सीन में अल्‍लाऊद्दीन खिलजी और पद्मावती के बीच प्रेम प्रसंग का सीन दिखाया जाएगा। इस सीन के अनुसार खिलजी सपना देखता है जिसमें उसे पद्मावती दिखाई देती है और वह उसे अपने पास पाता है। ऐसा दिखाया जाना गलत है।

बता दें कि पद्मावती फिल्‍म चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मिनी, राजा रतन सिंह और दिल्‍ली के खिलजी वंश के शासक अल्‍लाऊद्दीन पर आधारित है। इतिहास में ऐसा कहा गया है कि अल्‍लाऊद्दीन खिलजी रानी पद्मिनी पर मोहित था। वह उसे पाना चाहता था। इसके चलते दिल्‍ली ने चित्‍तौड़ पर हमला बोल दिया। कई सालों के घेरे के बाद दोनों के बीच जंग हुई। इसमें चित्‍तौड़ की सेना खेत रही। रानी पद्मिनी ने महल की सैंकड़ों अन्‍य महिलाओं के साथ जौहर कर लिया यानि आग में कूदकर जान दे दी।

करणी सेना के संस्‍थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का कहना है कि रानी पद्मिनी पवित्र थीं और वह महिलाओं के लिए आदर्श हैं। उन्‍हें गलत तरीके से दिखाए जाना बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। यह तर्क माना जा सकता है लेकिन बावजूद इसके क्‍या किसी व्‍यक्ति की कार्यस्‍थल पर घुसकर पिटाई कर दी जाएगी। गुंडागर्दी करते हुए तोड़फोड़ की जाएगी। मारपीट की जाएगी। क्‍या इस वाकये से राजस्‍थान का नाम खराब नहीं हुआ। एक कलाकार दर्शकों, श्रोताओं को आकर्षित करने के लिए सिनेमाई छूट लेता है। यह उसकी अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता के तहत आता है। उसे भी पता होता है कि सत्‍य और कल्‍पना में कितना अंतर रखना होता है। अगर संजय लीला भंसाली सपने के एक दृश्‍य के जरिए खिलजी और पद्मावती को साथ दिखा रहे हैं या प्रेम प्रसंग का सीन दिखा रहे हैं तो इसमें ऐतिहासिक गड़बड़ी कहां से हो गई। क्‍या इतिहास सपनों को भी दर्ज करता है। खिलजी का सपने में पद्मिनी को देखना इतिहास से छेड़छाड़ कैसे हो गई।

करणी सेना का गठन राजपूत आरक्षण के संदर्भ में हुआ था। बाद में इसने राजपूत अस्‍मिता की रक्षा का ठेका ले लिया। 2008 में जोधा अकबर मूवी के दौरान भी विरोध हुआ था। लिहाजा फिल्‍म राजस्‍थान में प्रदर्शित नहीं हुई। कुछ साल बाद एकता कपूर पर इसी नाम से सीरियल बनाने पर हमला किया गया। लेकिन सीरियल का प्रसारण नहीं रूका। करणी सेना का कृत्य उसे मनसे, श्रीराम सेना जैसे कट्टरपंथी समूहों के समान बना रहा है। अगर उन्‍हें आपत्ति थी तो इसके मुखियाओं को भंसाली से सीधे बात करना था।

भीड़ को आगे कर कला पर हमला करना किस तरह से जायज होगा। जिस राजपूती अस्मिता के लिए लड़ने की बात करते हैं उसमें क्षमा का स्‍थान शूरवीरता और पराक्रम के समकक्ष होता है। जिस राजपूती और क्षात्र धर्म के नाम पर वे कमाकर खाते हैं उसी वंश से आए पृथ्‍वीराज चौहान ने मुहम्‍मद गौरी को युद्ध में हराकर माफ कर दिया। बाद में हार गए और हिंदुस्‍तान में इस्‍लामी साम्राज्‍य की शुरुआत हो गई। लेकिन चौहान ने अपना धर्म निभाया। काश कि करणी सेना वाले भी इस धर्म को अपना पाते तो उनका नाम समाज पर कलंक नहीं बनता।