Savitribai Phule Jayanthi: डॉ मुलायम सिंह और कंचना यादव का ब्लॉग- महिलाओं की साक्षरता दर जितनी बढ़ती जाएगी सावित्री बाई फुले उतनी ही जीवित होती जाएंगी। 19वीं सदी में स्त्री शिक्षा पर प्रतिबंध लगने के बावजूद सावित्रीबाई फुले ने अपने पति की मदद से पढ़ाई की और समूची ब्राह्मणवादी व्यवस्था पर प्रहार करने का साहस किया। उनके द्वारा उठाए गए पहले साहसी कदम के कारण ही, 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में महिला साक्षरता दर 65.46% है। सावित्री बाई फुले का जीवन अपूर्व शौर्य और ईमानदारी की मिसाल है। भारत की प्रत्येक शिक्षित महिला उनकी ऋणी है। सावित्री बाई फुले के प्रति अपने ऋण के कारण हम यह लेख उनकी जयंती पर लिख रहे हैं। सावित्री बाई फुले समकालीन भारतीय शिक्षा की जननी हैं। उन्होंने वंचितों, मजदूरों, श्रमिकों, वरिष्ठों, सभी जातियों, सभी समुदायों और सभी उम्र के लोगों को शिक्षित किया। भिडेवाडा, पुणे में, उन्होंने सभी जातियों और समुदायों के लड़कियों के लिए पहला स्कूल स्थापित किया और इस तरह देश की पहली महिला शिक्षिका बनीं।