आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में बताया है कि ज्यादा बोलने से बहस और द्वेष की स्थिति बनती है, और शत्रुता पनपती है, वहीं सुनने से धर्म का ज्ञान होता है, अतः बोलने से ज्यादा सुनने पर ध्यान होना चाहिए।
आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में बताया है कि ज्यादा बोलने से बहस और द्वेष की स्थिति बनती है, और शत्रुता पनपती है, वहीं सुनने से धर्म का ज्ञान होता है, अतः बोलने से ज्यादा सुनने पर ध्यान होना चाहिए।
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