Humayun Kabir on Babri Masjid: 6 दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में कारसेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद के विध्वंस ने भारत की सांप्रदायिक राजनीति को हमेशा के लिए बदल दिया। इस घटना ने देश भर में दंगे भड़काए, जिसमें हजारों लोग मारे गए और हिंदू-मुस्लिम संबंधों में गहरी दरार पड़ गई। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन बाबरी मस्जिद का नाम आज भी भावनात्मक और राजनीतिक संवेदनशीलता का प्रतीक है। पश्चिम बंगाल के मुरशिदाबाद जिले में, जो पहले से ही सांप्रदायिक तनाव का शिकार रहा है, निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर का यह कदम उसी ऐतिहासिक घाव को फिर से कुरेदने जैसा माना जा रहा है। कबीर, जो पार्टी से निष्कासित हो चुके हैं, ने इस तारीख को चुनकर विवाद को भड़काया है, जबकि क्षेत्र में हाल ही में हुई सांप्रदायिक झड़पों के कारण केंद्रीय बल तैनात हैं। यह घटना न केवल स्थानीय शांति के लिए खतरा है, बल्कि 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले बंगाल की राजनीति को और ध्रुवीकृत करने का प्रयास भी।
