हर साल हजारों जोड़ों को माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। बच्चे के जन्म के साथ ही स्थास्थ्य पर होने वाले खर्च की सीमा बढ़ जाती है। इसके लिए बहुत से लोग हेल्थ पॉलिसी लेते हैं। लेकिन कई बार डिलीवरी के दौरान बहुत सी अप्रत्याशित परेशानियों का सामना करना पड़ता है जो कि, आपके हेल्थ कवर में नहीं होती। इसलिए एक्सपर्ट का मानना है कि, गर्भावस्था के दौरान हेल्थ इंश्योरेंस में मैटरनिटी कवर भी जरूर लेना चाहिए। जिससे आपके हॉस्पिटल, दवा और ओपीडी के बिल का भुगतान किया जा सके। आइए जानते हैं हेल्थ इंश्योरेंस में मैटरनिटी कवर का चुनाव किस तरीके से करना चाहिए।
कैसे काम करता है मैटरनिटी कवर – हेल्थ इंश्योरेंस में मैटरनिटी कवर बच्चे के जन्म से संबंधित सभी खर्चों को कवर करता है। इसमें हॉस्पिटल में भर्ती, चिकित्सा उपचार, डिलीवरी से पहले और बाद में प्रसूता के मेडिकल खर्च भी शामिल होते हैं। मैटरनिटी कवर में हॉस्पिटल के रूम का रेंट, एम्बुलेंस चार्ज और सर्जन फीस भी शामिल होती है।
क्या होती है कॉस्ट? रेगुलर हेल्थ कवर की तुलना में ऐसी पॉलिसी की कॉस्ट ज्यादा होती है। उदाहरण के लिए 5 लाख रुपये के कवर वाली रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की सालाना कॉस्ट करीब 10,885 रुपये आती है। इसी पॉलिसी में अगर मैटरनिटी बेनिफिट शामिल हो तो कॉस्ट बढ़कर 27,743 रुपये हो सकती है। हालांकि, आपको मैटरनिटी बेनिफिट के साथ सस्ती हेल्थ पॉलिसी चाहिए तो उसमें वेटिंग पीरियड छह साल तक हो सकता है।
कितने महीनों तक का होता है वेटिंग पीरियड – हेल्थ इंश्योरेंस के साथ मैटरनिटी कवर में वेटिंग पीरियड अलग-अलग पॉलिसी में अलग-अलग होता है। ज्यादातर पॉलिसी में वेटिंग पीरियड 9 महीने से लेकर 4 साल तक का होता है। इसका सीधा मतलब है कि, इस अवधि के बाद ही आप मैटरनिटी क्लेम के लिए अप्लाई कर सकते हैं। वहीं इस दौरान आपको केवल एक बार ही प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
मैटरनिटी कवर लेते समय किन बातों का रखें ध्यान – एक्सपर्ट के अनुसार शादी के बाद हेल्थ पॉलिसी में ही मैटरनिटी कवर शामिल कराना बेहतर विकल्प होता है। साथ ही मैटरनिटी कवर को अपनी पॉलिसी में शामिल कराते समय वेटिंग पीरियड को जरूर ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही मैटरनिटी कवर में किन खर्चों को शामिल किया गया है इसकी भी पूरी जानकारी करनी चाहिए।