डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर छपा कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू (सीवीवी) नंबर ऑनलाइन पेमेंट के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। सीवीवी कार्ड के पीछे की तरफ छपा तीन अंकों का नंबर होता है। शुरुआती दौर में ये कोड 11 अंकों के थे लेकिन जैसे-जैसे समय बीता बाद में इसे 3 से 4 अंकों का कर दिया गया है। यह डेबिट और क्रेडिट कार्ड की सिक्योरिटी के लिए बहुत महत्वपूर्ण नंबर होता है। इसे भूलकर भी किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए।

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान कार्ड की बाकी सभी डिटेल मसलन 16 अंकों के नंबर, कार्ड पर नाम और एक्सपायरी डेट आदि सेव हो जाती है लेकिन सीवीवी नहीं सेवा होता। यानी की हर बार पेमेंट के लिए सीवीवी दर्ज किया जाता है।

सीवीवी को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) सलाह देता है कि ग्राहकों को कार्ड प्राप्त होने के बाद सीवीवी नंबर को याद कर लेना चाहिए और कार्ड से मिटा देना चाहिए। अगर किसी को यह कोड नहीं पता होगा तो वह ऑनलाइन पेमेंट भी नहीं कर पाएगा।

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Frecharge, Paytm, GooglePay या किसी भी दूसरी मोबाइल वॉलेट एप्लीकेशन के जरिए ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के दौरान इस कोड को भरने के लिए कहा जाता है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो पेमेंट अधूरी रह जाती है।

सीवीवी नंबर के बिना कोई ट्रांजेक्शन नहीं कर पाता है। यह एक तरह से ओटीपी की तरह ही सुरक्षा प्रदान करता है। यानी बिना इसके ट्रांजैक्शन को रिजेक्ट कर दिया जाता है।