बैंक ग्राहकों को चेक के जरिए वित्तीय लेन-देन सुविधा देते हैं। बड़े अमाउंट के लेन-देन के लिए चेक को एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है। चेक के जरिए एक खाताधारक बैंक को इस बात की जानकारी देता है कि वे अपने खाते से रकम को किसी दूसरे व्यक्ति (पैसा रिसीव करने वाला शख्स) को ट्रांसफर कर रहा है। चेक भरते वक्त जिस तरह ग्राहकों को सावधानी बरतनी चाहिए ठीक उसी तरह बैंक को भी इसपर कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ग्राहकों और बैंकों को चेक से लेन-देन के लिए कुछ शर्तें पूरा करने के लिए कहता है। इन शर्तों के जरिए आरबीआई चेक लेन-देन के दौरान होने वाली धोखाधड़ी पर नियंत्रण करता है। आरबीआई के मुताबिक बैंकों और ग्राहकों को ‘सीटीएस 2010’ चेकों का इस्तेमाल करना चाहिए। देश के सभी बैंकों में 2013 से चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस 2010) लागू किया गया था।
इनमें सुरक्षा संबंधी कई विशेषताएं होती हैं। ग्राहकों को नॉन सीटीएस चेक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। आरबीआई के मुताबिक चेक पर लिखते समय गहरे रंग की स्याही का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। एकबार चेक में जो जानकारी दर्ज हो जाए तो उसपर किसी भी तरह का बदलाव या सुधार नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी तरह का बदलाव या सुधार करने के लिए नए चेक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
वहीं बैंकों को चेक पर मुहर लगते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह तारीख, अदाता का नाम, अमाउंट और हस्ताक्षर के ऊपर न लगाई जाए। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चेक के महत्वपूर्ण हिस्से सपष्ट दिखें। रबर की मुहर इत्यादि के प्रयोग के कारण चेक की फोटो में इन प्रमुख स्थानों को अस्पष्ट नहीं होना चाहिए।