बैंकों में जमा आपका पैसा कितना सुरक्षित है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि पंजाब एंड महाराष्ट्र को ऑपरेटिव बैंक के ग्राहक बैंक डूब जाने के बाद खुद का पैसा ही नहीं निकाल पा रहे हैं। बैंक चाहे सरकारी हों या प्राइवेट, विदेशी हो या को-ऑपरेटिव, इनमें जमा पैसे पर सुरक्षा डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कार्पोरेशन (DICGC) की तरफ से उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए बैंक प्रीमियम भरते हैं। आपके बैंक अकाउंट में कितनी भी रकम जमा हो, गारंटी सिर्फ 1 लाख रुपये तक की होती है। इसमें मूलधन और ब्याज, दोनों शामिल हैं। ऐसे में बैंक डूब जाने पर आपको मात्र 1 लाख रूपाय ही मिलते हैं। ऐसे में अपनी फिक्स डिपॉज़िट का क्या होगा?
फिक्स डिपॉज़िट भी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कार्पोरेशन के तहत आता है ऐसे में बैंक डूब जाने पर सिर्फ एक लाख रूपाय ही खाताधारक निकाल सकता है। अगर आपके किसी एक बैंक में एक से अधिक अकाउंट और FD आदि हैं तो भी बैंक के डिफॉल्टर होने या डूब जाने के बाद आपको एक लाख रुपये ही मिलने की गारंटी है। डिफॉल्टर बैंक की सभी शाखाओं में जमाकर्ता द्वारा रखी गई सभी जमाओं को क्लब कर दिया जाता है। या दूसरे शब्दों में, यदि कोई व्यक्ति बैंक की विभिन्न शाखाओं में पैसे जमा रखता है, तो उन्हें अधिकतम राशि केवल 1 लाख ही निकालने की अनुमति है।
अगर आप अपने पैसे पोस्ट ऑफिस में जमा करते हैं तो वह पूरी तरह से सुरक्षित रहती है। पोस्ट ऑफिस में जमा राशि की गारंटी सरकार की होती है। दरअसल गारंटी की योजनाओं में जमा पैसों का इस्तेमाल अपने कामों के लिए करती है। इसलिए इस पैसे पर पूरी गारंटी दी जाती है। वहीं, बैंकों में जमा राशि को सीआरआर (कैश रिजर्व रैशियो) और एसएलआर (वैधानिक तरलता अनुपात) में लगाया जाता है और बाकी रकम का आम लोगों या कॉर्पोरेट को लोन दिया जाता है। लोन से मिलने वाले ब्याज से बैंक अपना बिजनस बढ़ाते हैं।

