ऑनलाइन बैंकिंग ने पैसों के लेन-देन को बेहद आसान बना दिया है। चुटकियों में हम किसी को भी पैसा चंद सेकेंड्स में ट्रांसफर कर सकते हैं। बैंक लंबी लाइन और भीड़े से निजात तो मिली है लेकिन साथ ही साथ ही ऑनलाइन बैंक फ्रॉड के मामलों में भी लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।
बैंक फ्रॉड के यूं तो कई तरीके हैं लेकिन फिशिंग सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है। साइबर इसके जरिए सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं। लोगों की लापरवाही का फायदा उठाकर साइबर ठग अपनी जेब भरते हैं। ऐसे में किसी भी खाताधारक के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे फिशिंग को पहचानें। ऐसा करने से ठगी से बेहद ही आसानी से बचा जा सकता है। फिशिंग एक ईमेल हो सकता है जो किसी मशहूर संस्थान जैसे बैंक या लोकप्रिय वेबसाइट से मिलता जुलता होता है। इस ई-मेल की पहचान एकदम असली की तरह ही होती है इस वजह से लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं।
फिशिंग की कोशिश को ऐसे पहचानें: ऐसे ई-मेल को नजरअंदाज करें जिनमें आपसे मोबाइल नंबर, ओटीपी या फिर बैंक की पर्सनल डिटेल्स मांगी जा रही हो। ऐसे ई-मेल से बचें जिनमें किसी वेबसाइट का लिंक दिया गया हो। इस लिंक के जरिए ही आपसे ठगी को अंजाम दिया जा सकता है।
हमेशा वेबसाइट के यूआरएल पर ध्यान दें। एक सुरक्षित वेबसाइट के यूआरएल में हमेशा ‘S’ होता है। ऐसे यूआरएल https:// से शुरू होते हैं। मशहूर बैंक के इमेल एड्रेस, डोमेन नेम और लोगो की कॉपी कर एक असली जैसे दिखने वाले ई-मेल को भेजा जाता है। ऐसे में ऐसे ई-मेल से भी बचें।
अगर किसी ई-मेल में आपको ‘डियर नेट बैंकिंग कस्टमर’ या ‘डियर बैंक कस्टमर’ से संबोधित किया जाए तो समझ जाएं कि ये एक फर्जी ई-मेल है। क्योंकि बैंक अपने ग्राहकों को उनके नाम से संबोधित करते हैं। ई-मेल के जरिए फिशिंग की कोशिश को पहचानने का एक तरीका यह भी है कि इसमें आपको स्पेलिंग और ग्रामर की गलती देखने को मिलती है।