कोरोना महामारी के प्रभाव के कारण अर्थव्यवस्था थोड़ी पटरी पर आ ही रही थी कि तब तक यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध का छिड़ गई है। इससे यूक्रेन की व्यवस्था ही नहीं बिगड़ी है, बल्कि विश्व के अन्य देश भी प्रभावित हुए हैं। पिछले दो हफ्तों में कई देशों ने रूस से अपना व्यापारिक रिश्ता तोड़ लिया है। अभी अमेरिका ने भी रूसी तेल पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिस कारण कई देशों पर प्रभाव पड़ने वाला है। आइए जानते हैं रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का भारत पर असर क्या होगा।
प्रतिबंधों के बावजूद भले ही भारत ने रूस और पश्चिम के बीच एक नाजुक राजनयिक संतुलन बनाए रखा है, लेकिन आर्थिक गिरावट का खतरा बना हुआ है। युद्ध से भारत के खाद्य तेल, ईंधन से लेकर भारतीय उद्योगों प्रभावित हुए हैं।
ईंधन की कीमत
विश्व बैंक के प्रमुख डेविड मलपास ने यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर कहा है कि यह एक “आर्थिक तबाही” है, जिसका प्रभाव वैश्विक बाजार में अधिक पड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि युद्ध के आर्थिक प्रभाव से तेल और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना है। बता दें कि अमेरिका ने रूसी तेल और गैस पर प्रतिबंध लगाया है। जिस कारण बुधवार को ब्रेंट क्रूड 130.8 डॉलर प्रति बैरल रहा।
यहां बढ़ सकती है कीमतें
वहीं भारतीय बाजारों में नवंबर से ही पेट्रोल और अन्य ईंधन के दाम स्थिर है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में चुनाव समाप्त होने और कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में वृद्धि के साथ, कंपनियां घाटे की भरपाई के लिए दरों में वृद्धि कर सकती हैं और कीमतों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो सकती हैं।
15-20 रुपये बढ़ सकती है कीमत
द प्रिंट के अनुसार, भारतीय कच्चे तेल कीमत नवंबर से लगभग 45 प्रतिशत अधिक है यानी 115 डॉलर प्रति बैरल पर तेल लिया जाता है तो ईंधन के दामों में बढ़ोतरी तय है। कम से कम 15-20 रुपये प्रति लीटर ईंधन की कीमते बढ़ सकती है।
खाद्य तेल पर प्रभाव
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीयों ने खाद्य तेल खरीदने तेजी दिखा रहा है, क्योंकि ऐसा हो सकता है कि रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर इसकी कमी न हो जाए। भारत अपने सूरजमुखी के तेल का 90 प्रतिशत से अधिक रूस और यूक्रेन से आयात करता है, हालांकि सूरजमुखी तेल कुल खाद्य तेल आयात का लगभग 14 प्रतिशत ही है।
वहीं द टाइम्स ऑफ इंडिया के एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत लगभग 2.5 मिलियन टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है, जिसमें से 70 प्रतिशत यूक्रेन से आता है जबकि 20 प्रतिशत रूस द्वारा आपूर्ति की जाती है।
खाद्य तेल में होगी बढ़ोतरी
ऐसे में 90 प्रतिशत से सुरजमुखी के तेल का आयात प्रभावित इस युद्ध से होगा। जिस कारण से अन्य देशों से आ रहे पांम ऑयल के दाम भी बढ़ सकते हैं। हालाकि इस बीच सरसों की खेती करने वाले भारतीय किसानों को फायदा हो सकता है।
फार्मा पर प्रभाव
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट की बात करें तो इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IDMA) ने कहा है कि युद्ध के कारण बेंजीन या अन्य पेट्रोलियम उत्पादों से प्राप्त कच्चे माल की कीमतें बढ़ेंगी। हालाकि भारतीय फार्मा कंपनियों टोरेंट फार्मास्युटिकल्स और जायडस लाइफसाइंसेज के अधिकारियों के अनुसार, यूक्रेन वार से कम प्रभाव होगा।
वहीं रिपोर्ट की माने तो पिछले साल अप्रैल और दिसंबर के बीच यूक्रेन को भारत के कुल निर्यात में फार्मास्यूटिकल्स की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत थी, जो कि 173.3 मिलियन डॉलर थी। दूसरी ओर रूस ने इसी अवधि में 386 मिलियन डॉलर के फार्मा उत्पाद खरीदे गए थे।
सीतारमण ने कहा- चढ़ सकता है तेल का दाम
बुधवार को बेंगलुरु में दिए गए एक बयान में कहा है कि भारत एशिया का कच्चे तेल के व्यापार के लिए बड़ा केंद्र है। ऐसे में रूस- यूक्रेन के बीच के वार के कारण दाम चढ़ सकते हैं। लेकिन इसकी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। उन्होंनें कहा कि भारत तेल की ऊंची कीमतों को देख रहा है, जब तक कि कोई समाधान नहीं आ जाता है।