Reserve Bank of India (Note Refund) Rules, 2009 Full Details in Hindi: गंदे, रंगे, सड़े-गले और कटे-फटे पुराने नोट कहां चलाएं? अगर यह प्रश्न आपको भी सता रहा है, तब यह खबर आपके काम की है। दरअसल, ऐसे नोट बैंकों में आराम से बदले जा सकते हैं। हालांकि, इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कुछ नियम और शर्तें होती हैं, जबकि अगर बाजार में कोई दुकानदार या अन्य व्यक्ति सिक्के लेने से मना करे तब आप उसकी शिकायत पुलिस में दे सकते हैं। जानिए इन्हीं के बारे में विस्तार सेः
इस तरह के नोट बदलवाने की प्रक्रिया रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (नोट रिफंड) रूल 2019 के तहत आती है। जनवरी, 2019 में इससे जुड़े दिशा-निर्देशों में संशोधन भी किया गया है। गंदे, रंगे, सड़े-गले और कटे-फटे पुराने नोटों को देश के किसी भी बैंक की किसी भी शाखा में जाकर बदलवाया जा सकता है और इस चीज के लिए बैंक ग्राहक को मना नहीं कर सकते हैं।
हालांकि, इस चीज से स्माल फाइनेंस और पेमेंट बैंक को छूट मिली हुई है। वे अपनी सहूलियत के हिसाब से नोट-सिक्के एक्सचेंज करते हैं। कोई भी व्यक्ति अपने नजदीकी बैंक में जाकर एक दिन में नोट के 20 टुकड़े या फिर एक दिन में 5000 रुपए तक के नोट आसानी से बदलवा सकता है। अगर आप इससे अधिक नोट के हिस्से या रुपए चेंज कराएंगे, तब हो सकता है कि इस सेवा के लिए बैंक आपसे कुछ शुल्क लें।
आरबीआई ने अपने दिशा-निर्देशों में सभी बैंकों को ग्राहकों को नए नोट-सिक्के देने और उन्हें बदलने की सुविधा देने के लिए साफ तौर पर कहा है, ताकि उपभोक्ता परेशान न हों व उन्हें बार-बार आरबीआई न जाना पड़े। फिर भी अगर कोई बैंक नोट या सिक्के लेने से मना करता है, तब इन्हें आरबीआई के रीजनल ऑफिस और सब-रीजनल ऑफिसों में जाकर बदलवाया जा सकता है। बता दें कि देश में आरबीआई के कुल 21 रीजनल और 11 सब-रीजनल ऑफिस हैं।
न ले कोई, तब कैसे और कहां दें शिकायत?: नोट या सिक्के न स्वीकारने के मामले की शिकायत के लिए सबसे जरूरी है, शिकायतकर्ता के पास पर्याप्त सबूत होना, जिससे वह अपनी बात साबित कर सके। मसलन उसके पास प्रमाण के तौर पर कोई फोटो, वीडियो या ऑडिया होना चाहिए। वह इसके अलावा नोट-सिक्के न लेने वाले से लिखित में भी कारण ले सकता है, जिसके आधार पर वह उक्त व्यक्ति के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत दे दे।
आगे पुलिस सबूतों के आधार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 या 124 (ए) के तहत केस दर्ज कर सकती है। आरोपी व्यक्ति को इनके तहत क्रमशः तीन साल तक की सजा/जुर्माना और छह माह तक की सजा हो सकती है, जबकि शिकायकर्ता को बाद में मुआवजा भी मिल सकता है।