आज कल रीफरबिश (Refurbished Smartphones) प्रोडक्ट्स भी खूब चलन में हैं। पर इनके साथ एक डिबेट भी रहती हैं कि इन्हें लेना सही है या नहीं? ये प्रोडक्ट्स कैसे होते हैं, कहां से आते हैं और क्या इन्हें लेना फायदे का सौदा है? आइए जानते हैं यही सब:

रीफरबिश अंग्रेजी शब्द है। इसका मतलब है- ठीक करके नए जैसा बनाना। रीफरबिश प्रोडक्ट्स वे सामान होते हैं, जो अधिक इस्तेमाल नहीं किए गए होते हैं और अगर इस्तेमाल के बाद हल्का-फुल्का कमी पाते हैं, तो उन्हें दुरुस्त कर के बेच दिया जाता है। इन्हें री-बॉक्स या रीपैकेज्ड प्रोडक्ट्स की संज्ञा दी जाती है।

मान लीजिए कि आपने ऑनलाइन स्मार्टफोन मंगाया और आपको वह समझ में नहीं आया। दो-चार दिन चलाने के बाद आपने रिटर्न पॉलिसी के तहत उसे लौटा दिया। इस स्थिति में वह प्रोडक्ट ब्रांड न्यू नहीं कहलाएगा, क्योंकि उसका डिब्बा खुल चुका है। फोन भी निकालकर चलाया जा चुका है। हालांकि, घूम-फिर कर वह बाजार में रीफरबिश के रूप में आता है। उसे टिपटॉप और रीपैक कर फिर से बेच दिया जाता है।

रीफरबिश फोन का एक उदाहरण यह भी है कि कोई फोन आपने खरीदा। उसकी रीप्लेसमेंट पॉलिसी 10 दिन की है। इस बीच, उस फोन के हेडफोन जैक/वॉल्यूम बटन में दिक्कत आती है, तब वह सही कराया जा सकता है। अगर कस्टमर यानी आप रीप्लेस करने को कहेंगे, तब वह भी हो जाएगा। यहां जिस फोन को आप लौटाएंगे, कंपनी उसे दुरुस्त कर फिर से बेच देगी, मगर उसे रिपेयरिंग के बाद रीफरबिश के नाम से बेचा जाएगा।

वैसे, रीफरबिश प्रोडक्ट्स नए प्रोडक्ट्स की तुलना में सस्ते होते हैं। और, इसमें कोई बुराई नहीं है कि अच्छे दाम पर मिलने वाली बढ़िया चीज को छोड़ा जाए। नए फोन के मुकाबले आपको रीफरबिश फोन्स 10 हजार रुपए से लेकर असल कीमत से आधे दाम पर भी मिल सकते हैं। हालांकि, यह देखना जरूरी है कि आप वह प्रोडक्ट ले कहां से रहे हैं। ऐसे में सामान (फोन, स्मार्ट टीवी, गैजेट, लैपटॉप आदि) का ग्रेड/कंडीशन जरूर देख लें।

यह विकल्प उन लोगों के बेस्ट रहेगा, जो नए के लिए अगर अधिक पैसे नहीं खर्च सकते हैं। विश्वसनीय वेबसाइट्स से लेंगे तो ये प्रोडक्ट्स क्वालिटी, वॉरंटी और चेक्स के साथ मिलेंगे। साथ ही कुछ जगह रिटर्न/रीप्लेसमेंट का ऑप्शन भी होता है।

टेक एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फ्लिपकार्ट के 2 गुड, अमेजन या फिर कैशिफाई से रीफरबिश प्रोडक्ट्स लिए जा सकते हैं। हालांकि, फोन खरीदने से पहले उसकी हालत दिए गए डिटेल्स/स्टेटस में चेक करना बेहद जरूरी है। वे इनके अलावा अन्य भारतीय वेबसाइट्स पर अधिक भरोसा करने की सलाह नहीं देते हैं।