बैंकिंग धोखाधड़ी कभी भी किसी के साथ हो सकती है। ग्राहकों की लापरवाही के चलते ज्यादात्तर मामलों में ठग बड़ा फ्रॉड कर लेते हैं। बैंकिंग ठगी के कई तरीके हैं और ठग इसके लिए समय-समय पर नए-नए तरीके अपनाते रहे हैं। नेट बैंकिंग, फोन बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करने वाले लोग साइबर ठगों के निशाने पर रहते हैं।
बैंकों से धोखाधड़ी के मामलों में लगातार तेजी से इजाफा हो रहा है। बीते फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में बैंकों को धोखाधड़ी के मामलों के चलते 1.9 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने धोखाधड़ी के माममों में ग्राहकों को रिफंड पाने के कुछ सुझाव दिए हैं।
शीर्ष बैंक के मुताबिक ग्राहकों को अपने साथ हुई ठगी की जानकारी बैंक को जल्द से जल्द देनी चाहिए। ऐसा न करने पर उन्हें ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है। बैंक के पास शिकायत दर्ज करवाने के बाद ही पावती लेना न भूलें।
नियमों के मुताबिक बैंक को आपकी शिकायत का निपटारा 90 दिनों के भीतर करना होता है।
आरबीआई के मुताबिक धोखाधड़ी से बचने के लिए अपना पिन, ओटीपी या बैंक खाते की डिटेल किसी के साथ भी शेयर न करें। ऐसा करने पर आप ठगी के शिकार हो सकते हैं। बता दें कि ग्राहकों को फेक ई-मेल से सावधान रहने की जरूरत है। फेक ईमेल बैंक के ऑफिशियल ईमेल जैसे ही नजर आते है, लेकिन इनके चंगुल में फंसकर ही लोग अपनी निजी जानकारियों को साझा कर ठगी का शिकार हो जाते हैं।
इनके अलावा बैंक अधिकारी बनकर भी ठग ग्राहकों को कॉल करते हैं और अपनी बातों में फंसाकर आपकी निजी जानकारियां हासिल कर लेते हैं। देखते ही देखते ही आपके खाते से पैसा निकाल लिया जाता है। ऐसे में बैंक के मुताबिक कभी भी किसी को भी कॉल पर अपने बैंक खाते से जुड़ी जानकारी साझा न करें।