भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों और वित्तीय लेन-देन करने वाली कंपनियों के केवाईसी (अपने ग्राहक को जाने) के लिए नए नियम को लागू किया है। इसके तहत बैंक और अन्य कंपनियां मोबाइल वीडियो बातचीत के माध्यम से केवाईसी प्रक्रिया को पूरा कर सकते है। केंद्रीय बैंक ने ग्राहकों की सुविधा के लिए आधार या अन्य ई-दस्तावेजों के उपयोग की अनुमति देकर eKYC और डिजिटल KYC की सुविधा भी दी है।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार सरकार के धन शोधन निवारण (रिकॉर्ड्स का रखरखाव) नियम 2005 में संशोधन के बाद RBI के नियमों में संशोधन करते हुए वीडियो केवाईसी की अनुमति दी है। फिनटेक कन्वर्जेंस काउंसिल के अध्यक्ष नवीन सूर्या लंबे समय से इसके लिए प्रयास कर रहे थे। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि दुनिया में ऐसा पहली बार हो रहा है जहां वीडियो केवाईसी की इजाजत दी गई है। बैंक ऐप के जरिए एक वीडियो केवाईसी करके और आधार और पैन हासिल करके ग्राहकों को बनाए रख सकते हैं। नॉन-बैंक के पास eKYC की पहुंच नहीं है। ऐसे में वे फिजिकल आधार या क्यूआर कोड का उपयोग करके प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद आधार का इस्तेमाल करने वाले eKYC को बंद कर दिया गया था। इस फैसले के बाद मोबाइल वॉलेट कंपनियों के सामने नए ग्राहकों को जोड़ने में मुसीबत आ रही थी। आरबीआई ने गुरुवार को जारी अपने एक सर्कुलर में कहा, “डिजिटल केवाईसी को ग्राहक की लाइव फोटो कैप्चर करने और आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज या आधार प्राप्त करने के रूप में बताया गया है। यह काम वहां किया जा सकता है जहां ऑफलाइन तरीके से वेरिफिकेशन नहीं हो सकता है। यह लाइव फोटो रिपोर्टिंग संस्था के किसी अधिकृत अधिकारी द्वारा लिया जाएगा, जिसमें लोकेशन भी बताया जाएगा।”
इस सर्कुलर पर प्रतिक्रिया देते हुए नीति आयोग के प्रमुख अमिताभ कांत ने एक ट्वीट में कहा, “आरबीआई द्वारा शुरु की गई एक शानदार पहल! वीडियो आधारित कस्टमर आइडेंटिफिकेशन प्रक्रिया से बिना उपस्थिति और बिना कागज की (पेपरलेस) बैंकिंग होगी। यह सर्कुलर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल फाइनेंशियल इंक्लूजन की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।”
