केंद्र सरकार ने रजिस्ट्रेशन नियम को लेकर एक बिल के ड्राफ्ट पर जनता से सुझाव मांगे हैं, ये सुझाव देश के रजिस्ट्रेशन नियम पर एक सदी से भी अधिक पुराने कानून की जगह पर लागू होगा। रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के अनुसार, अचल संपत्ति से संबंधित डाक्यूमेंट् सहित विभिन्न प्रकार के डाक्यूमेंट्स के रजिस्ट्रेशन के लिए कानूनी अधिकार मिलता है।

सरकार ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि रजिस्ट्रेशन बिल 2025 का डॉफ्ट 27 मई दिन मंगलवार को जारी किया गया। ये एक आधुनिक, ऑनलाइन, बिना पेपर के और नागरिक केंद्रित रजिस्ट्रेशन नियम के निर्माण की दिशा में एक कदम होगा। डॉफ्ट बिल पर 25 जून तक सुझाव मांगे गए हैं। सुझाव प्रक्रिया के बाद बिल प्रस्ताव के लिए मंत्रिमंडल के पास जाएगा जहां चर्चा के बाद बाद इसे पारित करने के लिए संसद में पेश किया जाएगा।

प्रस्तावित रजिस्ट्रेशन बिल का ड्राफ्ट

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत भूमि संसाधन विभाग द्वारा तैयार किया गया रजिस्ट्रेशन बिल का ड्राफ्ट 43 पन्नों का है। इस बिल में 17 अध्याय, 86 धाराएं और एक अनुसूची है। 1908 का बना हुआ कानून थोड़ा लंबा है, जिसमें 93 धाराएं हैं।

डॉफ्ट बिल की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं-

* ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन : इस बिल में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को बढ़ावा देने के लिए बेहतर नियम शामिल किए गए हैं, इसमें डाक्यूमेंट को ऑनलाइन पेश करना और स्वीकृति, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का प्रमाण पत्र जारी करना और रिकॉर्ड का डिजिटल रखरखाव शामिल है। मौजूदा कानून में अचल संपत्ति के पंजीकरण के लिए डाक्यूमेंट को ऑनलाइन रूप से प्रस्तुत करने का प्रावधान नहीं है।

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* आधार-आधारित प्रमाणीकरण : डॉफ्ट बिल की धारा 29(3) में कहा गया है कि “धारा 28 के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करने वाला प्रत्येक व्यक्ति सहमति-आधारित आधार प्रमाण पत्र को प्रमाणित या ऑफलाइन वेरिफिकेशन या आधिकारिक रूप से वैलिड डॉक्यूमेंट या ई-दस्तावेजों के माध्यम से आधार प्रमाण पत्र पर आधारित वेरिफिकेशन से गुजर सकता है। पंजीकरण अधिकारियों के ऐसे ऑफिस में जिन्हें नोटिफाइड किया जा सकता है।”

विधेयक में इस बात को स्पष्ट किया गया है कि आधार कार्ड न होने की वजह से किसी भी व्यक्ति को रजिस्ट्रेशन से रोका नहीं जाएगा।

* अनिवार्य रजिस्ट्रेशन का व्यापक दायरा : डॉफ्ट बिल में उन दस्तावेजों की सूची का विस्तार से बताई गई है जिनके लिए अनिवार्य रजिस्ट्रेशन आवश्यक है।

रजिस्ट्रेशन नियम में बदलाव क्यों?

सरकार के अनुसार, जबकि मौजूदा कानून ने 100 से अधिक वर्षों तक दस्तावेज़ रजिस्ट्रेशन प्रणाली की “आधारशिला” के रूप में काम किया है, “समय के साथ, सार्वजनिक और निजी दोनों लेनदेन में रजिस्ट्रेशन डाक्यूमेंट की भूमिका काफी बढ़ गई है”, और यह “आवश्यक है कि पंजीकरण की प्रक्रिया मजबूत, विश्वसनीय और उभरते सामाजिक और तकनीकी विकास के अनुकूल होने में सक्षम हो”।

आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि “हाल के वर्षों में,  टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग, विकसित सामाजिक-आर्थिक प्रथाओं और उचित परिश्रम, सेवा वितरण और कानूनी न्यायिक निर्णय के लिए पंजीकृत दस्तावेजों पर बढ़ती निर्भरता ने एक दूरदर्शी रजिस्ट्रेशन ढांचा बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है”।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि वास्तव में, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 1908 अधिनियम के तहत दस्तावेजों को ऑनलाइन जमा करने और पहचान के डिजिटल सत्यापन की सुविधा पहले ही शुरू कर दी है। साथ ही, “रजिस्ट्रेशन अधिकारियों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को परिभाषित करना महत्वपूर्ण है, ताकि वे लागू कानून के अनुरूप पंजीकरण प्रक्रिया की अखंडता और विश्वसनीयता को बनाए रख सकें।”