प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई- यू) के तहत अगले पांच साल में एक करोड़ घर बनेंगे। गरीब परिवारों को घर उपलब्ध कराने की इस योजना में अड़चनें नहीं आएं, इसके लिए केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक योजना केंद्रीय सहायता की समय सीमा को बढ़ा दिया है। इस पहल का लाभ यह होगा कि ऐसे राज्य, जहां पर नई योजनाएं आने वाली हैं, उनको भी केंद्रीय मदद मिलती रहेगी। जानकार मानते हैं कि इसका सबसे अधिक लाभ चुनावी राज्यों में मिल सकेगा। अभी बिहार और इसके बाद पश्चिम बंगाल में चुनाव होने वाले हैं।

लंबे समय से चल रही इस योजना के बारे में मंत्रालय ने कहा कि इसे नया रूप दिया गया है और देश भर में एक करोड़ पात्र लोगों के लिए पीएमएवाई- 2 सभी के लिए आवास योजना की शुरूआत की है। इसके तहत चार चरण में काम होगा। इसमें लाभार्थी आधारित निर्माण (बीएलसी), साझेदारी में किफायती आवास (एएचपी), किफायती किराया आवास (एआरएच) और ब्याज सब्सिडी योजना (आईएसएस) तकनीक शामिल है। इस योजनाओं में विभिन्न राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से मिली परियोजना के आधार पर कुल 7.15 लाख आवास सहित कुल 119.31 लाख आवासों को स्वीकृति दी गई है। इनमें से कुल 112.98 लाख आवासों का निर्माण किया जा चुका है। पश्चिम बंगाल सहित देश भर में 93.81 लाख आवास बनकर तैयार हो चुके हैं, जिन्हें लाभार्थियों को सौंपा गया है।

बंगाल के लिए अब तक कुल 6,15,105 आवास मंजूर

मंत्रालय के मुताबिक पश्चिम बंगाल राज्य के लिए अब तक कुल 6,15,105 आवासों को स्वीकृति दी गई है। इसके लिए 9965.78 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता दी गई है। कुल राशि में से 8907.91 करोड़ रुपए पहले ही जारी किए जा चुके हैं। स्वीकृत आवासों में से कुल 6,06,060 आवासों का निर्माण कार्य चल रहा है। इनमें से 4,65,657 आवास पूर्ण कर लाभार्थियों को दिए गए हैं।

इसे भी पढ़ें- विपक्षी रैली में ममता बनर्जी के शामिल न होने पर अधीर रंजन चौधरी ने उठाए सवाल

इस योजना के तहत दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों में भी आवास निर्माणाधीन हैं। इसके लिए भी केंद्र सरकार ने पैसा जारी करने में कोई देरी नहीं की है। तय प्रावधान के मुताबिक केंद्र सरकार इस कार्य के लिए तीन किस्त में पैसा जारी करती है, इसमें पहले दो चरणों में चालीस- चालीस फीसद और बीस फीसद बाद में दिया जाता है।

लाभार्थी का चयन

मंत्रालय के मुताबिक पीएमएवाई यू और पीएमएवाई – दो मांग आधारित परियोजनाएं हैं। इन योजना के दिशा निर्देश के अनुसार लाभार्थी का चयन, परियोजनाओं का निरूपण और क्रियाव्यन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से ही होता है। मांग के आंकलन के आधार पर संबंधित राज्य अपने प्रस्ताव तैयार करते हैं और उसके लिए राज्य स्तीय समिति की स्वीकृति- निगरानी समिति की मंजूरी के बाद केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है। इसी आधार पर मंत्रालय के माध्यम से नए आवासों की मंजूरी दी जाती है।